Thursday 31 August 2017

Deron ki or : डेरों की ओर

खरी खरी - 75 : कौन ले जाता है हमें डेरों की ओर ?

     पाखंड का एक बहुत बड़ा जाल है । यह एक चेन है जिसमें महिलाओं को एक -एक कर भंवर में फंसाया जाता है । बाद में वह ब्लैक मेल की जाती है और नया मैम्बर फंसाना उसकी मजबूरी हो जाती है । बस फिर एक के बाद एक फंसते चले जाते हैं ।

      पाखंडी के दो रूप हैं , एक समाज सेवा का और दूसरा गुफा का । गुफा वाले रूप को देख सब जानकर भी चुप रहने पर मजबूर होते हैं क्योंकि नेस्तानाबूद करने की धमकी सामने होती है । इस धमकी के आगे कोई टिक नहीं पता । यदि दो महिलाएं हिम्मत नहीं करती तो सिरसा का पाखंडी जेल नहीं जाता । इतने बड़े मगरमच्छ से लड़ना आसान नहीं था । इसलिए उनके अद्भुत साहस की जितनी प्रशंसा की जाय वह कम  है ।

     महिलाएं कृपया इस जाल को समझें और अपनी छोटी छोटी समस्याओं को पति के साथ मिलकर, थोड़ा संयम बरतकर सुलझायें । हमारा अहंकार (ego) हमें इन पाखंडियों के पास इस उम्मीद से ले जाता है कि शायद हमारी समस्या सुलझ जाय परंतु समस्या सुलझने के बजाय उलझती चली जाती है । 'रोजे छुटाने गए नमाज गले पड़ गई' एक पुरानी कहावत हमारी जिंदगी से लिपट जाती है ।

     हम सब का कर्तव्य है कि इन डेरों/आश्रमों की ओर मुखर हुए अपने परिचितों को दो मिनट का समय दें और इस सत्यता को समझाते हुए उन्हें इस दलदल में जाने से रोकें । यह हमारा देश और समाज के लिए किया गया एक राष्ट्रीय कर्तव्य कहा जायेगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.09.2017

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