मीठी मीठी - 21 : गुठली रोपो
कल हमारे चिर परिचित चनर दा मिले । जुलाई के महीने में चनर दा ने करीब तीन दर्जन आम खाये होंगे । उन्होंने सभी गुठलियों को धोकर सुखाने रख दिया । 01 से 07 अगस्त के बीच उन्होंने इन सभी गुठलियों को सुबह या सायं चार पार्कों में रोप दिया । पूछने पर वे बोले, "सिर्फ गुठलियों को सुखाने रखना था सो प्रतिदिन ऐसा करते गया । सुबह -सांय की सैर के दौरान खुरपी संग कुछ गुठलियां ले जाता और उचित स्थान पर रोप आता । उम्मीद है इनमें से कुछ तो आम के पेड़ अवश्य बनेंगी क्योंकि विगत वर्षों के तजुर्बे के अनुसार आठ गुठलियां आम्र वृक्ष बन चुकी हैं जबकि कुछ पौधे बाल्यकाल में ही पूजा के नाम से अपनी टहनियां या अस्तित्व खो चुके हैं ।"
चनर दा आगे बोलते गए, "पूजा करने वाले पूजा के नाम पर आम के पत्ते नहीं मंगाते बल्कि कहते हैं , 'अरे भई एक टहनी आम की भी तोड़ लाना,।" उन्हें कहना चाहिए था, 'कुछ आम के पत्ते भी ले आना , टहनी मत तोड़ना ।' पूजा करने वाले को अंत में यह भी कहना चाहिए कि वर्ष में कम से कम धरती में दो - चार पेड़ भी रोप देना ।' यदि ऐसा कहा जायेगा तो धरती पेड़ -पौधों से भरी रहेगी और पर्यावरण शुद्ध रहेगा ।" चलो चनर दा की बात का अनुकरण करते हैं और तीन दर्जन नहीं तो कहीं पर तीन गुठलियां तो रोपते हैं ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
08.09.2017
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