खरी खरी - 72 : चमत्कारी नहीं बलात्कारी था वह
आज न्याय को नमन करने का दिन है । आज साहस, संयम और ईमानदारी को नमन करने का दिन है । आज 28 अगस्त 2017 एक ऐतिहासिक दिन है जब एक रसूखदार विश्वासघाती को दो रेप केस में 10 -10 साल की सजा, कुल 20 साल की सजा मिली है । उसके अंधभक्तों के सिवाय आज पूरा देश हर्षित है । आज उस बलात्कारी की दुर्गति हुई है जिसने अपने लिए फियादीन तैयार किये थे और पूरे तंत्र को खरीदने की गुस्ताखी की थी । आज जब वह जज के सामने रो रहा था, गिड़गिड़ा रहा था तब उसके साथ न उसके अंधभक्त थे और न उसके चरण चाटने वाले नेता थे।
लेकिन खुद को गुरु, स्वामी, संत , महाराज और आचार्य कहलवा कर पूजा करवाने वाले, बड़े -बड़े पंडालों में आपार जन समूह के बीच उपदेश देने वाले इस बलात्कारी की भर्त्सना करने से चुप क्यों हैं ? क्यों नहीं ये सब एक आवाज में उस जज की जयजयकार कर रहे जिसने एक पाखंडी को उसके कुकृत्य की सजा दी और बाबाओं के नाम पर धब्बा लगाया ।
उम्मीद करनी चाहिए कि इस ऐतिहासिक न्याय के समर्थन में आज पूरा देश न्याय की जय, भारत माता की जय की हूंकार जरूर करेगा ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.08.2017
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