खरी खरी - 58 : लिपट के तिरंगे पर
वह आग से खेला
वह शोलों से खेला,
वह दुश्मन के बरसते
गोलों से खेला,
जब दुश्मन ने युद्ध
उस पर थोप दिया था,
उसने गोली का उत्तर
तोप से दिया था ।
लिपट तिरंगे पर
घर जब वो आया,
वतन के लिए वह
खुद को दे आया,
कुर्बानी पर उसकी
कुर्बान सभी थे,
आँखें थी नम
मन में श्रद्धा सुमन थे ।
देश के लिए उसे
मां ने जना था,
देश प्रेम उसके
रग -रग में भरा था,
जब तक चांद सूरज
चमकते रहेंगे,
शहीदी पर गर्व
उसकी करते रहेंगे ।
(कविता के ये शब्द सभी सैन्य शहीदों को गर्व और विनम्र श्रद्धांजलि के साथ समर्पित । शहीद मेजर कमलेश पांडे के सम्मान में 04 अगस्त 2017 को हल्द्वानी में जो जन सैलाब उतरा उससे हमारी सेना का मनोबल अवश्य बढ़ेगा और शहीद परिवारों को संबल मिलेगा । हम अपनी सेना को नमन करते हैं ।)
पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.08.2017
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