खरी खरी - 64 : ये ठीक नहीं किया तुमने डी एम!
हाल ही की उस खबर से हम सब स्तब्ध हैं और आहत हैं कि जिला बक्सर के युवा डी एम ने गाजियाबाद के निकट मालगाड़ी के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली । डी एम ने बक्सर में आत्महत्या का प्लान बनाया औऱ दिल्ली आ गए । स्यूसाइड नोट में औऱ वीडियो में वे अपनी मृत्यु के लिए किसी को जिम्मेदार भी नहीं ठहरा गए । डी एम 2012 के IAS थे । वे अपने पीछे रोते - बिलखते मां-बाप और पत्नी को छोड़ गए तथा एक छोटी सी बिटिया को अनाथ करके चले गए ।
इस बंदे ने यह भयावह कदम क्यों उठाया ? इतना पढ़ा-लिखा मेधावी इंसान उस घुटन और छटपटाहट को बर्दास्त नहीं कर पाया जो उसके पारिवारिक घरेलू कलह से उत्पन्न हुई थी । मरने से अच्छा था पत्नी से सम्बन्ध विच्छेद कर लेता या माता -पिता से अलग पत्नी के साथ रह लेता । आखिर इस बंदे ने आत्महत्या के लिए इतनी उतावली क्यों की ? उसके इस फैसले से देश ने एक बेहतरीन IAS अधिकारी खो दिया जो एक प्रश्न खड़ा कर गया कि क्या सास- बहू के झगड़े में बेटे/पति की बलि टाली नहीं जा सकती ? तुम खुद तो गए डी एम परन्तु अगिनत संवेदनशील इंसानों को आहत कर गए । तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था ।
इस हृदयविदारक घटना से इसी तरह की समस्या से जूझ रहे पुरुषों को संयम से अपनी घुटन का समाधान निकलना चाहिए । आत्महत्या चाहे जिस कारण से भी की गई हो , इस कृत्य को कायराना कृत्य ही कहा जाता है । जिंदगी की मुश्किलों से जूझना और उनका साहस से संघर्ष करना मनुष्य का काम है । नित जारी रख अपना संघर्ष, तेरे साहस में तेरा उत्कर्ष...
पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.08.2017
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