खरी खरी - 57 : टैम खराब ऐगो
न्यूतम औनी मुखड़
देखै बेर न्है जानी,
कामा क नाम पर
हौवा क बल्दे चार भैजानी,
बिन पुछिये अकल
बतूणीयां क जोर हैगो,
चणी रौ कौ
टैम खराब ऐगो ।
ब्या काजों में लै
खाणै ता पुजै रईं,
खै बेर चुपचाप
खसिकि जां रईं,
'जां रयूं' कूण क
रिवाज लै नहैगो,
चणी रौ कौ
टैम खराब ऐगो ।
बरयातों क बेहाल देखि
लोग लगन करें हैं डरनी,
कुछ देर शराबि कुछ देर
वीडियो वाल करनी,
मसचोई सगुनठेकि
प्योलपिटार सब हरैगो,
चणी रौ कौ
टैम खराब ऐगो ।
शराबियों क डर ल लोगों ल
दिन कि बरयात शुरू करि,
पीड़ियां ल आपण गिलास
रातिये ल्ही भरि,
बरयात देर में ऐ
शौटकट में ब्या हूं फैगो,
चणी रौ कौ
टैम खराब ऐगो ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
02.08.2017
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