Thursday 3 August 2017

Uttarakhand patkatha (kumauni) : उत्तराखंड एक पटकथा (कुमाउनी)

उत्तराखंड के लिजी एक पटकथा चैंछ (व्यंग्य)

     कुछ दिन पैली देश में एक फिल्म प्रदर्शित हैछ “उड़ता पंजाब” जैक रिलीज  हुण है पैलिकै भौत हो-हल्ल है गोय | पंजाब में जो कुर्सी में छी उनूल कौ य पिक्चर ल पंजाब कि बदनामी ह्वलि कि पंजाब नश में वड़ा रौ | पंजाब कसिक नश क शिकंज में फंसौ य जग जाहिर छ फिर नश क विरोध में जनजागृति करण क लिजी फिल्म बनी तो उ पर बेकार क रुण शुरू है गोय | सेंसर बोर्ड ल लै य पर छियासी कट लगै दी और ‘पंजाब’ शब्द कैं हटूण कि  बात लै कै दी | यैक विरोध में देश एकजुट है गोय क्यलै कि फिल्म देशहित में छी | अंत में फिल्म ‘ए’ प्रमाणपत्र क साथ रिलीज हैछ और फिल्म ल  बॉक्स आफिस पर भौत भल प्रदर्शन करि बेर रुपैंनों क लुट लगा |

     फिल्म रिलीज होते ही उत्तराखंड क एक जानीमानी फिल्मकार (नाम बतूण क लिजी धमकै बेर मना करि गईं ) म्यार पास आईं और यई तर्ज पर उत्तराखंड क बार में क्वे फ़िल्मी पटकथा लेखण कि बात कौण लागीं | मील उनूहैं भौत विनम्रता ल पुछौ ( मन में डर छी कि बड़ि मुश्किल ल एक फिल्मकार म्यर जस टटपुजिय लेखक क पास ऐरौ, कैं नाराज है बेर न्हें झन  जो और पटकथा लेखण क चांस म्यार हात बै रपटि बेर क्वे दुसर लेखक झन झपटि ल्यो ), “सैब आपूं पैलिकै बतै दियो कि फिल्म में क्ये मुद्द कि चर्चा करण न्हैति ताकि सेंसर बोर्ड बटि एक्कै झटक म प्रमाणपत्र उछइ बेर तुमार जेब में ऐ जो |”

     फ़िल्मकार भृकुटी ताननै -मूंछें डौरूनै बलाय, “होय यार त्वील ठीक कौ, भलि याद द्यवे वरना फिल्म बनूण क बाद मीकैं ‘उड़ता पंजाब’ कि चार सबूं क साथ लै नि मिलवा |” मील पुछौ, “सैब, आपूं यस कसी कूं रौछा ?” ऊं बलाय, “म्यार सुणण में ऐछ कि देश कि राजधानी महानगरी दिल्ली में उत्तराखंडियों कि संख्या १५ बटि २५ लाख तक बतायी जैंछ जनार सैकड़ों  संस्था लै बनी हुई छै बल पर यूं नेतागिरी क वजैल एकजुट नि हुन बल |” पटकथा म्यार हात बे रपटि झन जो मील मुदद बदलि दे, “सैब आपूं स्पष्ट बतै दियो कि पटकथा में क्ये बात कि चर्चा नि हुण चैनि ताकि मी उ हिसाब ल कलम घैंसाई करुल |”

       फिल्म निर्माता बलाय, “भैया ध्यान लगै बेर सुणि लै जे मुद्द मी तिकैं बतूं रयूं उनरि चर्चा नि करते हुए त्वील एकदम हिट हुणी पटकथा लेखण छ | सुण- सबूं है पैली त तू राज्य बनते ही सही आदिम कैं मुख्यमंत्री कि कुर्सी में नि भटाव यैकि चर्चा झन करिए और राज्य आन्दोलनकारियों एवं ४२ शहीदों क नाम लै झन ल्हिये और आज तलिक क आठ मुख्यमंत्रियों कि क्ये लै कमियों कि बात झन करिए | राज्य में व्याप्त अन्धविश्वास, पशु बलि, दास- डंगरियों, गणतुओं, पुछारों, तांत्रिकों और जागर- मसाण कि चर्चा लै नि हुण चैनि | शराब, धूम्रपान, नश, गुटका, अत्तर, चरस, गांजा सहित सूर्य अस्त- पहाड़ मस्त वालि बात लै झन करिए | शिक्षा, रोजगार, पाणि, सड़क, बिजुलि, बाँध और स्वास्थ्य क ज़रा लै जिगर नि हुण चैनि | स्कूलों में मास्टरों कि कमी और शिक्षा कि गुणवता कि कमी लै झन बते और शिक्षा विभाग पर क्वे किस्म क कटाक्ष या चुहुलबाजी नि हुण चैनि |”

     एक लामि सांस खैंचनै ऊँ बतूनै गईं, “राजधानी गैरसैण बनूण और पलायन क मुद्द पर त गलती क साथ लै झन लेखिये | जल- जंगल- जमीन और खनन माफिया, आग माफिया सहित दिनोदिन बिगड़णी पर्यावरण पर लै क्ये झन लेखिये | कागजी एन जी ओ और पुलिस सहित सरकारी दफ्तरों एवं पंचायती राज क तीनै स्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लै चुप रे | रेलमार्गों क निर्माण, पर्यटन स्थलों में लूट और जां- तां अवैध कब्ज पर बिलकुल चुप रे   | सुवर- बानर- नीलगाय- मनखीबाग़ –गुलदाड़ पर लै गिच खोलण या कलम चलूण कि जरवत न्हैति | दलित और महिला शोषण पर लै कोई बात नि हुण चैनि |  उत्तराखंडी भाषाओँ कैं मान्यता दिलूण सहित क्वे लै ज्वलंत मुद्द पर क्ये लै झन लेखिये | झिमौड़ कि पूड़ पर खचक मारण क्ये जरवत न्हैति | क्ये हूं कौण है रौ ‘आ बलदा मीकैं मार ?”

     यतू कै बेर फिल्मकार ज्यु कुतिकि गाय | मी तब बटि लगातार सोचै रयूं कि उत्तराखंड क को मुद्द पर पटकथा लेखी जो ताकि फिल्म कैं सेंसर बोर्ड क सार्टीफिकेट लै मिल जो और फिल्म हिट लै है जो, क्ये कनी उ ‘स्याप लै मरि जो और लट्ठ लै नि टुटो |’ है सकल त क्वे बतूंण क कष्ट करिया, पटकथा पर जो लै रौयलटी मिललि उमें हिस्सदारी दिई जालि |

पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली

 03.08.2016

No comments:

Post a Comment