खरी -912 : मनखियेकि बात
मंखियैक जिंदगी
लै कसि छ,
हव क बुलबुल
माट कि डेल जसि छ ।
जसिक्ये बुलबुल फटि जां
मटक डेल गइ जां,
उसक्ये सांस उड़ते ही
मनखि लै ढइ जां ।
मरते ही कौनी
उना मुनइ करि बेर धरो,
जल्दि त्यथाण लिजौ
उठौ देर नि करो ।
त्यथाण में लोग कौनी
मुर्द कैं खचोरो,
जल्दि जगौल
क्वैल झाड़ो लकाड़ समेरो ।
चार घंट बाद
मुर्द राख बनि जां,
कुछ देर पैली लाख क छी
जइ बेर खाक बनि जां ।
मुर्दा क क्वैल बगै बेर
लोग घर ऐ जानीं,
घर आते ही जिंदगी की
भागदौड़ में लै जानीं ।
मनखिये कि राख देखि
मनखी मनखी नि बनन,
एकदिन सबूंल मरण छ
य बात याद नि धरन ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.08.2021
No comments:
Post a Comment