Friday 27 August 2021

Mankhiyeki baat : मनखिएकि बात।

खरी -912 : मनखियेकि बात

मंखियैक जिंदगी 

लै कसि छ,

हव क बुलबुल

माट कि डेल जसि छ ।

जसिक्ये बुलबुल फटि जां

मटक डेल गइ जां,

उसक्ये सांस उड़ते ही

मनखि लै ढइ जां ।

मरते ही कौनी 

उना मुनइ करि बेर धरो,

जल्दि त्यथाण लिजौ

उठौ देर नि करो ।

त्यथाण में लोग कौनी

मुर्द कैं खचोरो,

जल्दि जगौल

क्वैल झाड़ो लकाड़ समेरो ।

चार घंट बाद

मुर्द राख बनि जां,

कुछ देर पैली लाख क छी

जइ बेर खाक बनि जां ।

मुर्दा क क्वैल बगै बेर

लोग घर ऐ जानीं,

घर आते ही जिंदगी की 

भागदौड़ में लै जानीं ।

मनखिये कि राख देखि 

मनखी मनखी नि बनन,

एकदिन सबूंल मरण छ

य बात याद नि धरन ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

28.08.2021

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