बिरखांत - 392 : जलवायु परिवर्तन ( कैसे बचेगी धरती ?)
इंटर गवर्मेंटल पैनल औेन क्लाइमेट चेंज (IPCC ) जिसका मुख्यालय जेनेवा में है, के पैनल बैठक के अवसर पर धरती को बचाने की बात इस संगठन के सभी 195 देश करते हैं परन्तु क्रियान्वयन नहीं होता । विगत 2015 में पेरिस समझौता हुआ था जिसमें गर्म हो रही पृथ्वी को बचाने की बात सबने मानी । औद्योगिकरण और विकास के बहाने विकसित देश सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं । अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन एक न एक दिन इस धरा को ले डूबेगा । समरथ को नहीं दोष गोसाईं । इन्हें रोकने वाला कौन है ? कोई नहीं । बीते वर्षों में हमने प्रकृति का क्रोध देखा है। बेमौसम बारिश, चक्रवात, लू चलना, सर्दी का घटना, ग्लेशियरों का सिकुड़ना या सूखा पड़ना, यह सब मनुष्य के विकास के नाम से औद्योगिकरण के कारण हो रहा है। आने वाले दस वर्षों में धरा का तापमान 1.5० सेल्सियस बढ़ने वाला है जिससे गलेशियारों के पिघलने से समुद्र तल 25 से 55 सेंटी मीटर तक बढ़ सकता है और समुद्र के किनारे के छोटे - छोटे देश जलमग्न हो सकते हैं। हमारे देश का समुद्रतट भी खतरे में पड़ सकता है।
अतः भारत सहित पूरे विश्व को इस समस्या को गंभीरता से समझना होगा अन्यथा ये विकास मानव को विनाश की ओर ले जाएगा। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत में पिछले 17 वर्षों में (2001- 2018) 16 लाख हेक्टेयर से अधिक जंगल खत्म हो चुके हैं। वर्ष 2000 में वन आवरण भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 12% था जो 2010 में घटकर 8.9% रह गया जबकि कार्बन उत्सर्जन निरंतर बढ़ते रहा । कैसे बचेगी धरती की हरियाली ? विकास के नाम पर पेड़ काटकर धरती को नग्न किया जा रहा है, अंधाधुंध वनों का कटाव जारी है और पहाड़ों का विखंडन हो रहा है । शहरों के झील, तालाब और कुंवे सूख गए तथा दम घौंटू प्रदूषण बढ़ गया। यह विकास नहीं, विनाश है । यह थमना चाहिए । इस हाल में कैसे बचेगी धरती ?
सरकारें जो भी करें, इस पृथ्वी को बचाने की हमारी भी तो जिम्मेदारी है। हम अपने बच्चों के लिए कैसी पृथ्वी छोड़ जायेंगे ? हमने सोसल मीडिया में एक दूसरे को घर बैठे बैठे खूब पौधे भेजे और बधाई भी दी । पेड़ कितने लोगों ने रोपे यह तो उनकी आत्मा जाने । मैदानी क्षेत्रों में गरमी भी बहुत है । रोपे हुए पेड़ को जीवित रखना जरूरी है । इसलिए जिसने पर्यावरण दिवस पर पेड़ नहीं रोपा वह दिल से संकल्प करे कि बरसात आते ही वह पौधरोपण कर धरा का श्रृंगार अवश्य करेगा । जन्मदिन, सालगिरह, पुण्यतिथि, विवाह या कोई भी त्यौहार पर हमें एक पौधा रोप कर इस धरती को बचाना है । धरती ने हमें सबकुछ दिया, हमने भी पेड़ लगाकर धरती का ऋण चुकाना है । हम पत्थर या धातु की मूर्ति उसमें भगवान समझकर श्रृद्धा से पूजते हैं । इसी श्रद्धा से हमें प्रकृति, पेड़, पर्यावरण और नदियों की पूजा करनी चाहिए । यदि ये बच गए तो पृथ्वी बच जाएगी तभी उसमें रह रहे सभी जीव भी बचेंगे।
प्रत्येक शुभवसर पर एक पौधा अवश्य लगाकर उसकी निरंतर परवरिश करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए । हम अपनी पृथ्वी को पौध रोपण से बचा सकते हैं । हमारे देश की गंगा -जमुनी संस्कृति जो हमारी धरोहर है उसे पौध रोपण के साथ बचाये रखना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है । पेड़ रोपने से ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज से बच सकते हैं । इस विषय पर भाषण तो दिए जाते हैं परन्तु कर्म का क्रियान्वयन नहीं होता । देश में विश्व के कई देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति बहुत कम पौधे हैं । कनाडा में जहां प्रति व्यक्ति 10163 पेड़ हैं वहीं हमारे देश में प्रति व्यक्ति केवल 28 पेड़ बताए जाते हैं । पौधे रोपिए और देश के पर्यावरण को बचाइए । पर्यावरण स्वस्थ होगा तो देश स्वस्थ होगा ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
12.08.2021
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