Monday 23 August 2021

Baal vivah : बाल विवाह

बिरखांत-396 : कब तक होते रहेंगे बाल- विवाह ?

    देश को स्वतंत्र हुए 74 वर्ष हो गए हैं जबकि बाल- विवाह विरोधी क़ानून उससे भी पहले से है फिर भी देश में बाल -विवाह धड़ल्ले से हो रहे हैं | 19 अप्रैल 2016 को देश के लगभग सभी टेलीविजन चैनलों ने राजस्थान के चित्तौडगढ़ (गंगरार, जयसिंह पुरा गाँव ) में हुये दो बाल- विवाहों की मुक्त कंठ से चर्चा की और वीडियो प्रदर्शित किये | इन बाल -विवाहों में दुल्हन की उम्र क्रमशः 5 वर्ष और 13 वर्ष तथा दुल्हे की उम्र 11 वर्ष और 15 वर्ष थी | जोर शोर से खुलेआम बेझिझक मनाये गए इन विवाह उत्सवों में बहुत लोग मौजूद थे जो खूब हंसी- ठिठोली कर रहे थे | पंडित जी ने फेरे लगाने में असमर्थ नन्ही सी दुल्हन को जबरदस्ती फेरे लगवाए | यह तमाशा हर साल होता है परन्तु अक्षय तृतीया  के दिन अधिक होता है |

     हमारी देश में बाल-विवाह बहुत पहले से होते आये हैं | 1930 से शारदा ऐक्ट (राय साहब हरविलास शारदा की पहल से ) के अनुसार विवाह की उम्र लड़की के लिए 14 वर्ष तथा लड़के के लिए 18 वर्ष कर दी गई जो वर्तमान में क्रमशः 18 और 21 वर्ष है | बाल-विवाह के मुख्य कारण हैं –अशिक्षा, गरीबी, असुरक्षा और दहेज़ | कन्या भ्रूण हत्या का भी यही मुख्य कारण है | गरीबों की सोच है कि लड़की सिर का बोझ है, परायी अमानत है, जिसे जितना जल्दी हो सके निपटा दिया जाय | हमारी देश में आज भी 30 % लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में कर दी जाती है | जवान होती लड़की को दबंगों द्वारा उठाकर ले जाने या जबरदस्ती शादी करवाने का डर मां-बाप को सताते रहता है | दहेज़ का दानव अलग से मुंह बाये खड़ा रहता है | इस बीच पति की मृत्यु होने पर बचपन में ब्याही गई लड़कियाँ जवान होने से पहले ही विधवा हो जाती हैं और फिर उन पर समाज का अपना विधवा क़ानून लग जाता जिससे वे पुनर्विवाह नहीं कर सकती |

     अब समय में कुछ बदलाव आया है | महिला साक्षरता दर 3 से बढ़कर  65 % (2011) हो गई है | बाल –विवाह होने से कच्ची उम्र में मातृ-मृत्यु एवं शिशु मृत्यु की सम्भावना अधिक है | इसी कारण देश में यह दोनों मृत्यु दरें क्रमशः 187 प्रति लाख तथा 47 प्रति हजार हैं | इन्हीं तबकों में जनसँख्या वृद्धि भी अधिक है और गरीबी का अभिशाप भी जड़ पकड़े हुए है | क़ानून की यहां  खुलेआम अवहेलना होती है | राजस्थान की दलित महिला 50 वर्षीय भंवरी साथिन के साथ 1992 में उस समय ऊँची जाती के लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया जब वह बाल-विवाह रोकने की कोशिश कर रही थी | निचली अदालत से फैसला बलात्कारियों के पक्ष में आया | 1997 में इस सम्बन्ध में उच्चतम न्यायालय ने कार्यस्थल पर यौन शोषण रोकने के निर्देश दिए हैं जिसे ‘विशाखा दिशा निर्देश’ के नाम से जाना जाता है |

     राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारत में होने वाले बाल-विवाहों की पूरी जानकारी स्थानीय प्रशासन और राजनीतिज्ञों को होती है जो इसे नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि वे वोट बैंक के क्षय होने का खतरा मोल नहीं लेते | जिस दिन राजनीतिज्ञ वोट के बजाय देश की सोचेंगे उस दिन देश की दशा सुधर जायेगी | कागज में बने हुए क़ानून अपनी अवहेलना खुद देखते रहते हैं | क़ानून का डर होता तो कोई इस तरह खुलेआम अपनी अबोध बच्चियों को नहीं निबटाता | हम यदा कदा किसी को जागृत तो कर ही सकते हैं क्योंकि देश के अविकसित, अशिक्षित और अस्वस्थ रहने का असर हम सब पर पड़ता है | टी वी के एक चैनल के अनुसार बाल-विवाह कराने वाला पंडित गिरफ्तार किया जा चुका है | वर्तमान कोरोना काल में महाराष्ट्र सहित कई अन्य जगहों में कई बाल विवाह रोके गए। समाज की भी जिम्मेदारी है कि बाल विवाह को हतोत्साहित करे तभी देश -समाज और मानवता का भला होगा।

पूरन चन्द्र कांडपाल
24.08.2021

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