खरी खरी - 907 : अफगानिस्तान में दहशत
गिलगित जो अभी पी ओ के में है विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जो कि 5 देशों से जुड़ा हुआ है अफगानिस्तान, तजाकिस्तान (जो कभी रूस का हिस्सा था), पाकिस्तान, भारत और तिब्बत (अब चीन के पास ) । इतिहास में भारत पर जितने भी आक्रमण हुए यूनानियों से लेकर आज तक (शक , हूण, कुषाण , मुग़ल ) वह सारे गिलगित से हुए l हमारे पूर्वज जम्मू-कश्मीर के महत्व को समझते थे उनको पता था कि अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो दुश्मन को हिंदूकुश अर्थात गिलगित-बाल्टिस्तान उस पार ही रखना होगा l किसी समय इस गिलगित में अमेरिका बैठना चाहता था, ब्रिटेन अपना बेस गिलगित में बनाना चाहता था , रूस भी गिलगित में बैठना चाहता था यहां तक कि पाकिस्तान में 1965 में गिलगित को रूस को देने का वादा तक कर लिया था आज चाइना गिलगित में बैठना चाहता है और वह अपने पैर पसार भी चुका है और पाकिस्तान तो बैठना चाहता ही था l गिलगित के महत्व को सारी दुनिया समझती है जबकि वह केवल भारत का अभिन्न अंग है। (इस अनुच्छेद के कुछ ऐतिहासिक अंश सोसल मीडिया से साभार ।)
15 अगस्त 2021 को जब भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था ठीक इसी दिन अफगानिस्तान पर तालिबान ने सत्ता हथिया ली । 20 वर्ष अमरीका वहां रहा परन्तु कोई समाधान नहीं निकला । अब वहां अफरातफरी मची है। हमारा देश विगत कई वर्षों से अफगानिस्तान के नवनिर्माण में सहयोग कर रहा है। वर्तमान दहशत में दुनिया के सभी लोग अफगानिस्तान छोड़कर जा रहे हैं। भारत के कई नागरिक 17 अगस्त को भारतीय वायुसेना की मदद से स्वदेश लाए गए हैं। उम्मीद है सरकार स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए है और बाकी बचे हुए लोग भी सकुशल आ जाएंगे। उधर समाचार है कि तालिबान अब नरम रवैया रखेगा और विश्व के साथ अफगानिस्तान के संबंध बने रहेंगे। यह तो वक्त बताएगा परन्तु इतिहास के पन्नों में विशेषतः महिलाओं की स्वतंत्रता और शिक्षा तथा आतंकवाद के बारे में तालिबान के जो कृत्य अंकित हैं उनसे तालिबान की विश्वसनीयता संदिग्ध है । हमें अब पहले से अधिक चौकन्ना रहने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे दोनों पड़ोसी अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता काबिज होने पर दुनिया के साथ नहीं, बिलकुल अलग खड़े हैं । कुछ भी हो पूरी दुनिया के अमन चैन बनाए रखने की जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र संघ की है । उम्मीद है 194 देशों की यह संस्था कुछ तो करेगी तभी वह उद्देश्य " विश्व को युद्ध से बचाना और विश्व में शांति बनाए रखना " पूरा होगा।
पूरन चन्द्र कांडपाल
18.08.2021
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