खरी खरी - 916 : अंधविश्वास की जकड़
पढ़े लिखे अन्धविश्वासी बन गये
लेकर डिग्री ढेर,
अन्धविशास के मकड़जाल में
फ़सते न लगती देर।
पंडे ओझा गुणी तान्त्रिक
बन गये भगवान,
आंख मूंद विश्वास करे जग
त्याग तथ्य विज्ञान ।
उलझन सुलझे करके हिम्मत
और नहीं मंत्र दूजा,
सार्थक सोच विश्वास अटल हो
मान ले कर्म को पूजा।
अन्धविश्वास ने जकड़ा जग को
यह जकड़ मिटानी होगी,
कूपमंडूक की जंजीरों से
मुक्ति दिलानी होगी।
अंधियारा ये अंधविश्वास का
मुंह बोले नहीं भागे,
शिक्षा का हो दीप प्रज्वलित
तब अंधियारा भागे।
पूरन चन्द्र कांडपाल,
01.09.2021
No comments:
Post a Comment