Thursday 26 August 2021

Facebook whatsep ke naam : फेसबुक वॉट्सएप के नाम

खरी खरी-911 : फेसबुक- व्हाट्सेप के नाम

फेसबुक -वॉट्सएप रंगीन देखा,

इन्द्रधनुष से बढ़ कर देखा |

कभी ‘वाह-वाह’ कभी ‘जय-जय’

व्यर्थ तारीफ़ शब्द लय -लय,

जिस न झुकाया सिर घर- मंदिर

वह देवी- देवता भेजते देखा |

कट-पेस्ट के लम्बे थान देखे

घूम- फिर कर वही ज्ञान देखे

छोटा ज्ञान पल्ले नहीं पड़ता

लम्बा ज्ञान बरसते देखा |

मस्ती देखी चैटिंग देखी

अन्धविश्वास के सैटिंग देखी

नाम बदल कर कई ग्रुप में

झूठा प्रोफाइल बहते देखा |

शराब गुटखा नशा धूम्रपान

मध्यम गति से लेते जान

हमने पार्क में बाल -बाला को

व्हाट्सेप नशे पर मरते देखा |

राजनीति को ढलते देखा

झूठनीति को फलते देखा

राजनीति कोई कहीं कर रहा

यहां कईयों को लड़ते देखा |

जिसको अपने मोबाइल में

जब भार्या ने हंसते देखा

क्रोध यों मडराया तिय पर

शब्द शोला बरसते देखा |

प्यार की आह भी भरते देखे

व्यंग्य बाण भी चलते देखे,

दूसरों की लेख -कविता पर

नाम अपना चस्पाते देखा |

 

चुटकुलों की बौछार भी देखी

बदलती बयार भी देखी,

पति-पत्नी एक दूजे के पूरक

पति को हरदम दबते देखा |

कभी किसी को जुड़ते देखा

कभी किसी को कुड़ते देखा

कभी तंज- भिड़ंत भी देखी

व्यर्थ बहस उकसाते देखा |

रात रात भर जगते देखा

घंटों वक्त गंवाते देखा

स्पोंडिलाइटिस कई लोगों को

मोबाइल से होते देखा |

चलते-चलते पढ़ते देखा

सैल्फी खीचते गिरते देखा

अश्लीलता का खुलकर तांडव

बदनाम मोबाइल होते देखा |

ऊंट –गधे के सुर में सुर

रखते जाते खुर में खुर

नहीं थी सूरत नहीं था सुर

झूठी प्रशंसा करते देखा |

कुछ शब्दों की धार भी देखी

शब्द पिरोती हार भी देखी

मान-मर्यादा के पथिकों को

राह गरिमा की चलते देखा |

कोरोना संक्रमण आते देखा

कई लोगों को मरते देखा,

ढीठ नहीं रखे कभी देह दूरी

बिना मास्क के घूमते देखा ।

क्या वे उस पथ चलते होंगे ?

जिस पथ चल- चल कहते होंगे !

ज्ञान बघारने वाले जन की

कथनी- करनी में अंतर देखा |

फेसबुक -वॉट्सएप रंगीन देखा

इन्द्रधनुष से बढ़ कर देखा |

पूरन चन्द्र काण्डपाल

27.08.2021

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