Sunday 15 August 2021

Hamara Vivek : हमारा विवेक

बिरखांत-394 :हमारा अपना विवेक भी तो है !


     एड्स और कैंसर दोनों बहुत ही खतरनाक बीमारियां हैं परन्तु अंधविश्वास इनसे भी खतरनाक संक्रामक रोग है | हमारे देश की साक्षरता बढ़कर 74 प्रतिशत हो गयी है परन्तु तंत्र, मन्त्र, जादू- टोना, टोटका, भूत- प्रेत, मसाण, झाड़ -फूक, गंडा- ताबीज, वास्तु, हस्त रेखा, ग्रह- गोचर, मुहूर्त, तान्त्रिक, ओझा, औघड़, डायन, मुहनोचुवा बन्दर आदि समाज में कभी नष्ट न होने वाली मूथे खरपतवार की तरह जड़ जमाये हुए हैं | ये सभी कमजोर दिमाग की उपज हैं जिन्हें अफवाह, भेड़चाल, रुढ़िवाद, अशिक्षा और कट्टरवाद से बल मिलता है |


      हमें कुछ वर्ष पहले मूर्ती को दूध पीते देखने के बात बतायी गई, तोरइ के पत्तों पर सांप की आकृति देखने की बात कही गई, बाड़ में डूबे मकानों पर तथाकथित संतों की आकृति उबरने की बात कही गई तथा वर्षा करवाने के लिए मेढक- मेढकी का ब्याह और निर्वस्त्र महिलाओं को रात्रि में हल चलाने की खबर तक प्रिंट मीडिया ने बताई | प्रतिदिन अंधविश्वास के किसी न किसी रूप को हम देखते रहते हैं | राहु- केतु- शनि- मंगल के नाम पर हम लोगों को डराते रहते हैं | डायन के नाम पर स्त्री हत्या खुलेआम हो रही है | महिलाओं पर ही छल- मसाण लगाया जा रहा है | शनि के नाम पर सड़क में सांकल लगे बक्से भरे जा रहे हैं | नर बलि के रूप में बच्चों की चोरी के बाद हत्या हो रही है | इन्हीं कारणों से दुनिया हमें सपेरों का देश कहती है ।


     कारगिल युद्ध (1999) जिसमें हमारे पांच सौ से अधिक सैनिक शहीद हुए उस मुशर्रफ की देन थी जो इस युद्ध से पहले भारत आया था और ताजमहल के सामने अपनी बेगम के साथ बैठ कर फोटो खिचवा कर चला गया | देश के सभी तांत्रिकों ने उस पर मिलकर कोई तंत्र क्यों नहीं किया ? हमारी सीमा पर वर्ष 1989 से अब तक आये दिन उग्रवादी घुसपैठ करते आ रहे हैं | विगत 32 वर्षों में उग्रवाद के छद्म युद्ध में हमारे हजारों सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं | देश के सभी ज्योतिषी, ग्रह- साधक, तंत्र विद्या और काला जादू में स्वयं को माहिर बताने वाले इस पाक प्रायोजित छद्म युद्ध को क्यों नहीं रोकते और उग्रवादियों पर अपना प्रभाव क्यों नहीं दिखाते ? ये लोग थार के तप्त मरुस्थल में कभी एकाद बारिश ही करा देते | ये सब अंधविश्वास के पोषक हैं और अज्ञान के अन्धकार में डूबे लोगों को अपने शब्द जाल से लूटते हैं | दूसरे शब्दों में ये अंधभक्तों को उल्लू और उल्लुओं को अंधभक्त बनाते हैं |


     हमारे देश में आस्था या श्रद्धा के नाम पर वह हो रहा है जो नहीं होना चाहिए | पुण्य कमाने के नाम से अबारा कुत्तों को तांत्रिकों की सलाह पर खूब भोजन दिया जाता है जिससे देश में उनकी संख्या लगभग साड़े चार करोड़ हो गयी है और देश की राजधानी में प्रति छै मिनट में एक कुत्ते द्वारा काटने का केस हो रहा है | देश में हजारों रेबीज केस प्रति वर्ष कुत्तों के काटने से हो रहे हैं | इसी तरह बंदरों को भी भोजन देकर शहरों की ओर लुभाया जाता है | बंदरों से काटने की घटनाएं आये दिन होती है |


     यह एक अकाट्य सत्य है कि यदि दुआ- आशीर्वाद से बीमार ठीक हो जाते तो अस्पतालों की जरूरत नहीं होती और किसी धर्मस्थल जाकर न्याय मिल जाता तो न्यायालयों की जरूरत नहीं होती | हमें देश में हिंसा और आतंक के अलावा अंधविश्वास के विरोध में अलख जगाने की जरूरत है | हमारा समाज अंधविश्वास के सांकलों में आज भी जकड़ा है जो पूजालयों में पशु बलि देता है, नदियों और मूर्तियों में दूध- तेल बहाता है, पदक पाने के लिए हवन करता है, चुनाव पर्चा ज्योतिष सलाह से भरता है और जन्मपत्री- कुण्डली के चक्कर में युवाओं को बुढ़ाता है | घर के वृद्धों की अनदेखी कर मंदिर में भगवान नहीं मिलेगा | साथ ही हमें यह भी देखना चाहिए कि हमें अंधविश्वास में ढकेलने वाले पहले अपना भला क्यों नहीं कर लेते ?


     शत-प्रतिशत शिक्षित नीदरलैंड एक ऐसा देश है जहां सबसे अधिक तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले लोग रहते हैं जहां अपराध कम होने के कारण जेलखाने बंद करने पड़े हैं | हम भाग्य- भगवान और पूजा, पाठ –स्तुति में लगे रहने के बाबजूद नाना प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त हैं और दुनिया में अब भी पिछड़े हुए हैं |सर्वत्र अदृश्य होकर हमें देख रहे ईश्वर का स्मरण करते हुए हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए। यही श्रीकृष्ण जी ने गीता में उपदेश दिया है।   सही रास्ते का निर्णय हमें खुद करना है | सोचिए यदि अस्पताल नहीं होते, डाक्टर नहीं होते, वैक्सीन नहीं होती तो कोरोना महामारी से कितने लोग काल कवलित हो जाते? इतना होते हुए भी विगत 18 महीनों में हमारे देश में 4.3 लाख लोग इस महामारी के ग्रास बन गए। अपना बचाव जारी रखें और वैक्सीन लगाएं।


पूरन चन्द्र कांडपाल

16.08.2021


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