Wednesday 25 August 2021

Ek Manav janit rog : मानव जनित रोग

खरी खरी - 910 :  एक मानव जनित रोग

     नया आवास बनाकर एक व्यक्ति ने घर में सुंदर टाइल लगाए । बाथ रूम के एक कोने पर एक टाइल कम पड़ गई । यह जगह दरवाजे के पीछे थी । अतः मिस्त्री ने जोड़-जंतर कर वहां पर टाइल लगा दी जो आसानी से दिखाई नहीं दे रही थी । जैसा कि इस व्यक्ति को इस टाइल का पता था, जो भी व्यक्ति इनके घर आता वह उस व्यक्ति से इस टाइल की चर्चा करते हुए कहता, "यार एक टाइल ने काम खराब कर दिया, बाकी तो सब काम बढ़िया हुआ । " देखने वाला व्यक्ति कहता, "अरे यार दरवाजे के पीछे है, दिखाई भी नहीं दे रही, तुम्हारे बताने पर मुझे पता चला । रहने दो क्यों टेंसन ले रहे हो ?" उसके समझाने पर भी मकान मालिक चेहरा लटकाए ही रहा जैसे वह कोई बड़ी समस्या को ढो रहा हो ।

     याद रखिए यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जो हमारा पूरा ध्यान एक छोटी सी नजरअंदाज करी जाने वाली इस तरह की कमी की ओर खींच कर हमें परेशान करती है । हम जन्मदिन उत्सव मनाते हैं । करीब 20 मित्र- परिजन इस छोटे से आयोजन में सम्मिलित होते हैं। सबको भोजन और आयोजन अच्छा लगता है ।  आये हुए 20 में से कोई एक व्यक्ति आयोजन या भोजन में कुछ न कुछ त्रुटि या नुक्ता निकाल देता है जबकि 19 इस आयोजन की प्रशंसा करते हैं । हम इन 19 की प्रशंसा को तो भूल जाते हैं और उस एक की अनावश्यक बात को "लोग-बाग कह रहे हैं" कह कर मन-मस्तिष्क में उतार कर हमेशा ढोते रहते हैं । 

     स्वयं की मोल ली हुई इस मनोवैज्ञानिक समस्या को 'मिसिंग टाइल सिंड्रोम' के नाम से जाना जाता है । मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि हमें हमारी खुशी चुराने वाली ऐसी बातों को समस्या का रूप देकर दुखी नहीं होना चाहये । इस एक व्यक्ति द्वारा उत्पन्न की गई असहजता को तरजीह नहीं देते हुए हमें उन 19 लोगों को तरजीह देनी चाहिए जिन्होंने सत्य के साथ हमारा मनोबल बढ़ाने में अपना सहयोग दिया । वैसे भी किसी के आयोजन में अनावश्यक मीन -मेख निकालना एक लाइलाज बीमारी है जो कुछ लोगों में हम अक्सर देखते हैं । इस 'मिसिंग टाइल सिंड्रोम' नामक बीमारी से हम बचे रहें और समाज को जागृत करें, यही हमारा प्रयास होना चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


26.08.2021

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