Monday 5 July 2021

Sharaab karati hae vinaash : शराब करती है विनाश

खरी खरी - 884 : शराब करती है  विनाश !

      जग जाहिर है जो किसी भी प्रकार का नशा नहीं करते वे वास्तव में उत्तम लोग हैं । आप अपने मित्र, परिवार, संबंधी, सहकर्मी को भी जनजागृति कर अपनी कैटेगरी में शामिल करें ।  किसी भी प्रकार का नशा करने वाला समाज को हानि पहुंचाता है । देखा गया है कि बलात्कार सहित अन्य अपराध करने वाला कोई न कोई नशा करता रहा है ।

      कुछ वर्ष पहले जब तबादला होकर नए स्थान पर गया तो सायँ 5 बजे एक सहकर्मी पास आकर कान पर कहने लगा, "आपसी कंट्रीब्यूसन से कभी कभी व्हिस्की मंगाते हैं, सौ रुपए निकाल ।" मैंने मना किया तो वह बोला, "अबे कंगले स्टाफ में मिलकर रहना पड़ता है । निकाल सौ रुपये ।" मैंने सौ रुपये दे दिए परन्तु चुपचाप घर को चला आया । दूसरे दिन सुबह उसने सौ का नोट मेरे मुंह पर मारते हुए कहा, "हमें भिखारी समझता है । कोई मुसीबत आएगी तो हम ही काम आएंगे तेरे ।" यह बंदा यों ही उटपटांग बोलने में माहिर था और जो मन आई सो बोल कर चला गया । स्टाफ का मामला था, मैं  चुप रहा ।

     मैंने कोई बहस नहीं की । मुझे किसी भी शराब पीने वाले से कोई नफरत नहीं है । शराब पीने के बाद यदि पता चल रहा है कि उसने शराब पी है, वह समाज -परिवार का अहित कर रहा है तो वह शराबी है । वैसे शराब सहित सभी प्रकार का नशा मानव के लिए 100 % दुःखदायी, खतरनाक, विनाशकारी और अंततः आत्मघाती है । मैं जानता हूँ कई ऑफिसों में 5 बजे के बाद खूब शराब पार्टी होती है जिसे बॉस का संरक्षण होता है ।

     उपन्यास "छिलुक" में इसका पूर्ण विवरण किया है मैंने । मैं अंतिम दिन तक शराब पार्टी में शामिल न होने के कारण पता नहीं क्या क्या अपने सहकर्मियों के मुख से सुनता रहा, यहां बता नहीं सकता । स्मरण रहे शराब सहित सभी नशे ले डूबते हैं । इसलिए डरिये मत, शराब से बच कर रहिये और शराबियों से भी । मैंने अपने काम से अपने शराबी सहकर्मियों का दिल जीता और उनसे सम्मान पाया जिसका आभाष मुझे तब होता था जब वे नहीं पीए हुए होते थे ।

        विगत वर्ष कोरोना के दौर में शराबियों ने शराब की दुकानें खुलने पर जो हरकत करी उसे इतिहास भी नहीं भुला पाएगा । शराबियों ने संक्रमण रोकने के सभी निर्देश ताक पर रख दिए और बेकाबू होकर उन्मुक्त हाथी की तरह भड़कने लगे । शराब की कीमत बढ़ाई गई, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा । क्या शराब इसी तरह की गैर जिम्मेदार हरकत करने के लिए थी ? उस दिन एक आश्चर्य यह भी हुआ कि लौकडाउन से कई लोगों के पास नौकरी नहीं थी, वेतन भी नहीं मिला था परन्तु शराब के लिए नकद राशि कहां से आई होगी ?  05 मई 2020 को मैंने इसी मुद्दे पर जो खरी - खरी लिखी थी उसका का एक अंश यहां प्रस्तुत है -

    "कल 04 मई 2020 को लौकडाउन के 41/54वें दिन देश में सुबह 10 बजे शराब से ठेके खुलने का ऐलान हुआ । ठेकों पर सुबह 7 बजे से ही लंबी कतारें देख आश्चर्य नहीं हुआ । रात 10 बजे तक करोड़ों कि शराब बिक गई । कोरोना को ठैंगा दिखाकर दारूबाजों ने खुल्लम खुल्ला लौकडाउन की खिल्ली उड़ा दी । कई जगह पुलिस की बेवडों को कंट्रोल करने के लिए लाठी चार्ज करना पड़ा । शराब की तड़प में शराबियों को यह भी याद नहीं रहा कि वे स्वयं और अपने परिवार को जोखिम में डाल रहे हैं ।  दारू के ठेके खोलने से पहले पुलिस का प्रबंधन सिथिल पड़ गया जिसने उन लोगों को निराश किया को पूर्ण ईमानदारी से घर बैठ कर लौकडाउन का पालन कर रहे हैं ।" शराब से नफ़रत हो सकती है परन्तु शराबी से नहीं। शराबी नफ़रत से नहीं सुधरेगा । शराबी तो केवल जनजागृति के प्याले में स्नेह -जल देने से ही सुधरेगा । काम भलेही आसान न लगे परन्तु असम्भव नहीं है । 

पूरन चन्द्र काण्डपाल

06.07.2021

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