Monday 26 July 2021

Kargil yuddh ; कारगिल युद्ध

बिरखांत - ३८७ :  कारगिल युद्ध कि याद ( विजय दिवस : २६ जुलाई ) 

     हर साल २६ जुलाई हुणि हम ‘विजय दिवस’ १९९९ क कारगिल युद्ध में जीत कि याद में मनूनू | कारगिल भारतक जम्मू-कश्मीर राज्य में श्रीनगर बटि २०५ कि. मी. दूर श्रीनगर -लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर शिंगो नदीक दक्षिण में समुद्र सतह बटि दस हजार फुट है ज्यादा ऊंचाई पर स्थित छ | मई १९९९ में हमरि सेना कैं कारगिल में घुसपैठक पत्त चलौ | घुसपैठियों कैं खदेड़णक लिजी १४ मई हुणि आपरेशन ‘फ़्लैश आउट’ एवं २६ मई हुणि आपरेशन ‘विजय’ और कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना द्वारा आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ आरम्भ करिगो | यूं द्विये आपरेशनोंल कारगिल बटि उग्रवादियोंक वेश में आई पाकिस्तानी सेनाक सफाया करिगो | य युद्धक वृतांत मील आपणी किताब ‘कारगिल के रणबांकुरे’ ( संस्करण २०००) में लेखण क प्रयास करौ |

     य युद्ध ११००० बटि १७००० फुट कि ऊँचाई वाल दुर्गम रणक्षेत्र मश्कोह, दरास, टाइगर हिल, तोलोलिंग, जुबेर, तुर्तुक और काकसर सहित कएक दुसार ह्यूं ल ढकी ठुल पहाड़ों पर लड़ी गो | य दौरान सेना कि कमान जनरल वेद प्रकाश मलिक और वायुसेना कि कमान एयर चीफ मार्शल ए वाई टिपनिसक हात में छी | य युद्ध में भारतीय सेनाल निर्विवाद युद्ध क्षमता, अदम्य साहस, निष्ठा, बेजोड़ रणकौशल और जूझण कि भौत अद्भुत शक्तिक परिचय दे | हमरि सेना में मौजूद फौलादी इराद, बलिदान कि भावना, शौर्य, अनुशासन और स्वअर्पण कि अद्भुत मिसाल शैदै दुनिय में कैं और देखण में मिलो | य युद्ध में भारतीय सेनाक जांबाजोंल न केवल बहादुरी कि पुराण परम्पराओं कैं बनै बेर धरौ बल्कि सेना कैं देशभक्ति, वीरता, साहस और बलिदान कि बेमिशाल बुलंदियों तक पुजा | य युद्ध में हमार पांच सौ है ज्यादा सैनिक शहीद हईं जमें उत्तराखंडक ७३ शहीद छी और करीब एक हजार चार सौ सैनिक घैल लै हईं |

     कारगिल युद्धक दौरान हमरि वायुसेनाल लै आपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ क अंतर्गत अद्वितीय काम करौ | शुरू में वायुसेनाल कुछ नुकसान जरूर उठा पर शुरुआती झटकों क बाद हमार अगासक रखवाल झिमौडू कि चार दुश्मण पर चिपटि पणी | हमार पाइलटोंल अगास बै दुश्मणक पड्याव में यस बज्जर डावौ जैकि कल्पना दुश्मणल लै कभै नि करि हुनलि जैल य लडै कि दशा और दिशा में पुरि तौर पर बदलाव ऐगो | वायुसेना कि सधी और सटीक बम- वर्षाल दुश्मणक सबै आधार शिविर तहस-नहस है गाय | हमार जांबाज फाइटरोंल नियंत्रण रेखा कैं लै पार नि कर और जोखिम भरी सनसनी खेज करतब देखै बेर अथाह अगास में छेद करणक करशिमा करि बेर देखा | हमरि वायुसेनाल सैकड़ों आक्रमक, टोही,  युद्धक विमानों और हेलिकोप्टरोंल नौ सौ घंटों है लै ज्यादा उड़ानें भरी | युद्ध क्षेत्र कि विषमताओं और मौसमकि विसंगतियोंक बावजूद हमरि पारंगत वायुसेनाल न केवल दुश्मण कैं मटियामेट करौ बल्कि हमरि स्थल सेनाक हौसला अफजाई लै करी |

     कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता, कर्तव्यक प्रति आपूं कैं न्योछावर करण क लिजी १५ अगस्त १९९९ हुणि भारत क राष्ट्रपति ज्यूल ४ परमवीर चक्र (कैप्टन विक्रम बतरा (मरणोपरांत), कैप्टन मनोज पाण्डेय (मरणोपरांत), राइफल मैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेन्द्र यादव ( पुस्तक ‘महामनखी’ में इनरि लघु वीर-गाथा तीन भाषाओं में दगडै छ ), ९ महावीर चक्र, ५३ वीर चक्र सहित २६५ है लै ज्यादा पदक भारतीय सैन्य बल कैं प्रदान करीं | कारगिल युद्ध है पैली जम्मू -कश्मीर में छद्मयुद्ध दगै लड़णक लिजी आपरेशन ‘जीवन रक्षक’ चल रौछी जमें उग्रवादियों पर नकेल डाली जैंछी और स्थानीय जनता कि रक्षा करी जैंछी |

     हमरि तीनों सेनाओंक मनोबल हमेशा कि चार आज लै भौत उच्च छ | ऊं दुश्मणकि हर चुनौती दगै बखूबी जूझि बेर उकैं मुहतोड़ जबाब दीण में पुरि तौर पर सक्षम छ | उनर एक्कै लक्ष्य छ, “युद्ध में जीत और दुश्मनक मटियामेट |” हाम विजय दिवसक अवसर पर आपण अमर शहीदों कैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करि बेर शहीद परिवारोंक सम्मान करनै आपण सैन्य बल और उनार परिजनों कैं भौत- भौत शुभकामना दीण चानू और हर चुनौती में उनू दगै डटि बेर ठाड़ रौणक बचन दीण चानू | के लै भुलो पर शहीदों कैं नि भुलो ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

२७.०७.२०२१

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