Thursday 22 July 2021

Ghapal - ghotal घपल - घोटाला

खरी खरी - 894 : घपल- घोटाल (कुमाउनी कविता)

जो लै तुम
घोटाल करैं रौछा,
सुणि लियो एक बात
जतू है सकीं करो बेईमानी
लागलि जनता कि घात,
जब आलि होश
तब चाइये रौला
हमूल करौ भ्रष्टाचार
आपण गिचल कौला,
विकास क नाम पर
खेलैं रौछा उटपटांग खेल
जोड़ें रौछा खूब काइ कमै
एक दिन जरूड़ पुजालि जेल,
भ्रष्टाचारल जोड़ी जैजात
कभैं काम नि आवा,
मरण ता सब याद आल
जो करीं करम कावा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.07.2021

No comments:

Post a Comment