खरी खरी - 893 : पौध-रोपण में ईमानदारी
समाचार पत्रों के अनुसार आजकल देश में पौध रोपण के कई रिकार्ड बनाये जा रहे हैं । लाखों- करोड़ों पौधे लगाए जाने की बात हो रही है। इनमें परवरिश कितनों की होगी और कितने पौधे वृक्ष का रूप लेंगे ? इस हेतु पूरा रिकार्ड रखा जाना चाहिये । पिछले साल (प्रत्येक वर्ष ) भी ऐसा हुआ परन्तु रोपने के बाद इन पौधों को कोई देखने नहीं आया । वनमहोत्सव तो हर साल मनाया जाता है पता नहीं कितना जमीन में और कितना कागज में ?
देश में हर साल चातुर मास में करोड़ों पौधे रोपे जाते हैं परन्तु बहुत कम ही जीवित रहते हैं क्योंकि रोपाई के बाद कोई इन्हें देखने नहीं आता । इस बात की जिम्मेदारी होनी चाहिए तभी देश में हरियाली बनी रहेगी और वातावरण भी स्वच्छ रहने की उम्मीद बनी रहेगी । एक व्यक्ति द्वारा एक पेड़ रोपकर उसकी देखभाल करना देखा जाय तो कोई बड़ा कार्य नहीं है । सोसल मीडिया में किसी मूर्ति के बजाय पौधरोपण का चित्र अर्थात पौधा स्वयं रोपकर उसका चित्र भेजना मैं उचित समझता हूँ क्योंकि इससे समाज को प्रेरणा मिलेगी बसरते इसमें ईमानदारी बरती जाय । इसी तरह हरेले पर भी पौध रोपण के साथ ही त्यौहार का उत्सव आरम्भ होना चाहिए । पौधरोपण का दूसरा अर्थ है प्रकृति की पूजा और प्रकृति की पूजा का अर्थ है ईश्वर की आराधना।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.07.2021
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