Monday 11 June 2018

Sikho hamari bhasha :सीखो हमरि भाषा

मीठी मीठी - 121 : सिखो हमरि भाषा

    ग्रीष्मकालीन अवकाश क दौरान नना कैं कुमाउनी -गढ़वाली भाषा सिखूण क मुख्य उद्देश्य छ कि हमरि भाषा हमरि अघिल पीढ़ी तक पुजो । क्वे लै भाषा जब व्यवहार में निहुनि या बोलचाल -लेखण है दूर रैंछ उ माठु-माठ कै विलुप्त है जींछ । सयुंक्त राष्ट्र संघ कि एजेंसी यूनिस्को द्वारा प्रसारित एक रिपोट क अनुसार दुनिय में करीब 441 भाषा गुम हुणक कगार पर छीं । अगर व्यवहार में निरौली त भोव हैं हमरि भाषा लै गुम है सकीं ।

    य ई सोच क अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र  दिल्ली में अच्याल नना कैं हमरि भाषा सिख़ूण क अभियान चलि रौछ । य अभियान कि रूपरेखा उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली द्वारा तयार करीगे जैकैं DPMI और उत्तराखंड एकता मंच दिल्ली समेत आपण आपण क्षेत्रों क संस्था पुर जोरशोर क साथ चलूं रईं । यूं ईं संस्था नना क भैटणक, जागक और उनर जलपान क प्रबंध लै करैं रईं । य कार्यकम बिलकुल निःशुल्क छ ।भाषा सिखूंणी अध्यापक लै स्वेच्छाल आपणि सेवा दीं रईं ।

     20 मई 2018 बटि चली य अभियान कि 10 जून 2018 हुणि चौथूं क्लास छी । DPMI में म्यार दगाड़ चंदन प्रेमी ज्यू छी । मील कुमाउनी और प्रेमी ज्यूल गढ़वाली भाषा सिखै । 05 अगस्त 2018 तक य कार्यक्रम हर  ऐतवार रत्तै  10 बजी बटि 12 बजी तक चलल । उम्मीद छ हमरि भाषा कैं ज्यौंन धरण क य हम सब लोगों क प्रयास कैं सबै झणी मिलि बेर घर-घर पुजाला और तबै हमरि भाषा संविधानक आठूँ अनुसूची में पुजलि ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
11.06.2018

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