Thursday 7 June 2018

Kisan ka uphas : किसान का उपहास

खरी खरी - 251 : किसान का उपहास

      बहुत दुःख हुआ जब बाजार से ₹ 10/- के डेड़ किलो टमाटर खरीदे । जब बाजार में इतने सस्ते तो शायद किसान को (₹1/-) एक किलो टमाटर का एक रुपया मिला होगा । कितनी मेहनत से उगाया जाता है टमाटर वह मैं जानता हूँ  क्योंकि एक जमाने में टमाटर उगाए हैं औऱ बेचे भी हैं । ऐसे हाल में किसान ने टमाटर सड़क पर फैंके और नेताओं ने उसका उपहास किया,  मूर्ख कहकर उसका मजाक उड़ाया । जब यही हाल होना है तो फिर कोई किसानी क्यों करे ? वैसे किसान अपने मेहनत से उगाए गए उत्पाद सड़क में फेंकने के बजाय गरीबों में बांट कर रोष प्रकट कर देते तो उचित होता ।

      किसान की आत्महत्या का उपहास करना बहुत ही शर्मनाक है । पूरे देश में प्रतिदिन दस -बारह किसान प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं, लाचारी से आत्महत्या कर रहे हैं । आत्महत्या करना अच्छी बात नहीं है । किसान तो आत्महत्या अंतिम विकल्प के बतौर करता है क्योंकि एक तरफ कर्ज की मार और दूसरी तरफ फसल का भाव नहीं मिलना । हताश होकर वह आत्महत्या जैसा क्रूर कदम उठा कर अपने परिजनों को रोता-बिलखता छोड़ जाता है । इस दर्द को हमारे वायदे से मुकरने वाले नीतिनियन्ता समझते क्यों नहीं ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
08.06.2018

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