Tuesday 26 June 2018

Hamari bhasha : हमरि भाषा

मीठी मीठी - 126 : हमरि भाषा

     हमरि भाषा कुमाउनी-गढ़वाली लगभग 1100 वर्ष पुराणि छ । यैक संदर्भ हमर पास मौजूद छीं । कत्यूरी और चंद राजाओं क टैम में यौ राजकाज कि भाषा छी । आज लै करीब 400 लोग  कुमाउनी में लेखनी जनर के न के साहित्य कुमाउनी पत्रिका "पहरू" में छपि गो । भाषा संविधान क आठूँ अनुसूची में आजि लै नि पुजि रइ । प्रयास चलि रौछ । सबूं हैं निवेदन छ कि भाषा कैं व्यवहार में धरो । हमार चार साहित्यकार छीं जनूकैं साहित्य अकादमी भाषा पुरस्कार लै प्रदान हैगो ।

     "पहरू" मासिक कुमाउनी पत्रिका लिजी डॉ हयात सिंह रावत (संपादक मोब 9412924897) अल्मोड़ा दगै संपर्क करी जै सकूं । कीमत ₹20/- मासिक । य पत्रिका डाक द्वारा घर ऐ सकीं । विगत 9 वर्ष बटि म्यर पास उरातार य पत्रिका पूजैं रै । मी यैक आजीवन सदस्य छ्यूँ । बाकि बात आपूं हयातदा दगै करि सकछा । उत्तराखंडी भाषाओं कि त्रैमासिक पत्रिका "कुमगढ़ दर्शन" जो काठगोदाम बै प्रकाशित हिंछ वीक लै आपूं सदस्य बनि सकछा ।  मी यैक लै आजीवन सदस्य छ्यूँ । संपादक दामोदर जोशी 'देवांशु' मो.9411309868, मूल्य ₹ 30/-

     कुमाउनी भाषा में कविता संग्रह, कहानि संग्रह, नाटक, उपन्यास, सामान्य ज्ञान, निबंध, अनुच्छेद, चिठ्ठी, खंड काव्य, गद्य, संस्मरण, आलेख सहित सबै विधाओं में साहित्य उपलब्ध छ । बस एक बात य लै कूंण चानू कि आपणि इज और आपणि भाषा ( दुदबोलि, मातृभाषा ) कैं कभैं लै निभुलण चैन ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.06.2018

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