मीठी मीठी- 126 : लोकजीवन दर्पण (पुस्तक भेंट)
डा. जगदीश चन्द्र पंत रचित पुस्तक 'लोकजीवन दर्पण' (निबंध संग्रह) कुछ महीने पहले मुझे भेंट स्वरूप प्राप्त हुई । 102 पृष्ठ के इस संग्रह में 31 निबंध हैं । निबंधों में हास्य रस मिश्रित तीन उत्कृष्ट व्यंग्य है - 'खटारा बस', ' मुठ्ठी में क्या है' और 'प्रीतिभोज का बदलता स्वरूप'। ये तीनों ही व्यंग्य पाठक को कुतकुतैली लगाते हैं । व्यंग्य 'प्रीतिभोज...' में लेखक इस भोज के बिगड़ते स्वरूप और कुव्यवस्था को 'गिद्धभोज' कहने पर मजबूर हुआ है । लेखक ने इस कुव्यवस्था से गुजरे जमाने के पंगत में बैठकर भोजन ग्रहण करने को उत्तम बताया है जिसमें स्नेह, आदर, शिष्टता, सरलता और भोजन के रसस्वादन के आनंद की चर्चा की है ।
निबंध संग्रह के सभी निबंध उत्कृष्ट हैं । लेखक ने संग्रह में सामाजिक संरचना और तत्थों के साथ अपनी बात कहने का सफल प्रयास किया है । डा. पंत जी को बधाई और शुभकामना ।
(मोब. 9410121158 पर लेखक से संपर्क किया जा सकता है । सभी निबंधों की चर्चा नहीं कर पाने के लिए लेखक से क्षमा चाहता हूँ ।)
पूरन चन्द्र काण्डपाल
20.06.2018
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