Monday 18 June 2018

Padhi lekhiyan haal : पढ़ि लेखियां क हाल

खरी खरी - 259 : पढ़ी लेखियां क हाल

पढी लेखियां क हाल

भलेही घर क मंदिर में
राति-ब्याव दी जगूं रयूं,
फिर लै पुछ्यारूं क कूण पर
रोज यथां- उथां भटकैं रयूं,
राम-कृष्ण रामायण-गीता छोड़ि
ओझा-पंड- तांत्रिकों कैं पुजैं रयूं,
आज लै द्याप्तां क नाम पर
खूब उटपटांग पाखंड करैं रयूं ,
पुजपाठ जागरण क नाम पर
जोर-जोरैल लौस्पीकर बजूं रयूं,
बीमार बुजुर्ग विद्यार्थी नानतिन
भलेही क्वे उ रात झन स्येतण,
मी धर्म क काम करैं रयूं ।

मंदिर क पुराण गुजरि-मूर्ति -फोटो
प्लास्टिक कि थैलि में धरैं रयूं,
विसर्जना क नाम पर
य थैलि कैं गाड़ में बगूं रयूं,
एकाद डाव -वोट नि लगूं रौय
सूरज कैं रोज जल चढूं रयूं,
गाड़-गध्यार-नौव-पन्यार कैं
कुड़-कभाड़ अथरूं रयूं,
खैनी-तमाकु-गुट्क-पान खै बेर
जां- तां लाल करैं रयूं,
बिड़ी-सिगरटा टुकुड़, गुटका थैलि
कागज-पत्तर कैं लै खेड़े रयूं ,
मि पढ़ी-लेखी छयूं
पत्त नै यस किलै करैं रयूं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.06.2018

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