खरी खरी -262 : किसी सुबह दिल्ली की नहर किनारे भी आओ बच्चन साब !
हम आपसे गधे- खच्चर की बात नहीं करेंगे बच्चन साब । आप शौचालय के बारे में लोगों को अपने ढंग से समझा रहे हैं । आप 'मर्द' और 'कुली' बन कर देश के बिगड़ैल शौचकों का हृदय परिवर्तन करने में लगे हैं । काश ! ये हरिया और मुसद्दी आप की सुन लेते, हमारी तो नही सुनी इन्होंने दिल्ली की यमुना नहर पर ।
बच्चन जी एक बार आप हरियाणा से आकर दिल्ली में गुजरने वाली मुनक नहर के किनारे भी आकर एक दो लमथर- घंतर नहर किनारे के शौच करने वालों को भी मार जाते तो इस नहर का भी भला हो जाता जो दिल्ली वासियों की जलपूर्ती करती है ।
वैसे बच्चन साब देश की सभी नहरों के किनारे शौचकों का जमघट लगा रहता है चाहे वह गङ्ग नहर हो या मुनक नहर । यहां इन्हें बाल्टी या लोटा नहीं ले जाना पड़ता । नहर किनारे को भर कर ये नहर में ही धोते हैं सबकुछ । आएंगे ना आप इन्हें समझाने । हम तो आपके बुलाने पर गुजरात आये थे आप हमारे कहने पर एक बार नहर किनारे आ जाइये ना प्लीज़ । नहीं आ सकते तो किसी नहर के किनारे खड़े होकर वहीं से धतियादो इन बेशउरियों को ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
24.06.2018
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