Wednesday 6 June 2018

Doha pancham : दोहा पंचम

मीठी मीठी - 120 : दोहा पंचम (कुमाउनी)

कविता मन कि बात बतैं,
कसै उठी हो उमाव ।
बाट भुलियां कैं बाट बतैं,
ढिकाव जाई कैं निसाव ।।

द्वि आंखर हँसि बेर बलौ,
बरसौ अमृत धार ।
गुस्सम निकई कड़ू आंखर,
मन में लगूनी खार ।।

लालच जलंग पाखंड झुटि,
राग- द्वेष  अहंकार ।
अंधविश्वास अज्ञान भैम,
डुबै दिनी मजधार ।।

धरो याद इज बौज्यू कैं,
शिक्षक सिपाइ शहीद ।
दुखै घड़िम लै भुलिया झन
धरम करम उम्मीद ।।

याद धरण उ मनखी चैंछ,
मदद हमरि करी जैल ।
हमूल मदद जो कैकि करि,
उकैं भुलण चैं पैल ।।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
06.06.2018
म्येरि किताब  'मुकस्यार'
कुमाउनी कविता संग्रह (2011)

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