Saturday 24 March 2018

T B Education : टी बी जागृति दिवस 24 मार्च

बिरखांत- 205 : 24 मार्च विश्व टी बी दिवस (क्षय रोग जागृति )

(प्रचार माध्यमों में बिग बी रोज कह रहे हैं, " इंडिया vs टी बी के युद्ध में TB हारेगा देश जीतेगा ।" )

(हम क्या कर सकते हैं ? हम किसी भी लगातार खांसने वाले व्यक्ति से इतना तो कह सकते हैं कि भाई किसी सरकारी अस्पताल में एक एक्सरे करा ले, बस ।)

     मैंने पहली बार आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कालेज पुने में वर्ष 1968 में पहली बार टी बी (क्षय या तपेदिक रोग) का नाम सुना | प्रशिक्षण में बताया गया कि यह एक खतरनाक संक्रामक बीमारी है और प्रत्यक्ष या परोक्ष  छुआछूत से फैलती है | तब टी बी के रोगी से लोग बात करना और उसे घर में रखने से परहेज करते थे | कालान्तर में मुझे कई क्षय रोगियों की सेवा का अवसर मिला जब कि लोग उनके पास जाने से घबराते थे | अपना बचाव करते हुए कोइ भी उनके साथ सकुशल रह सकता है और निरन्तर उचित दवा लेते रहने से रोगी भी ठीक हो सकता है |

   क्षय रोग को ट्यूबरकुलोसिस भी कहते हैं जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूब्रीकल नाम के बैक्टीरिया से फैलता है | इस बैक्टीरिया की खोज डा. रॉबर्ट कोच ने 24 मार्च 1882 में की थी । यह रोग किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है | यह रोग 80 प्रतिशत फेफड़ों (पल्मोनरी टी बी ) को ग्रसित करता है जबकि शरीर के किसी भी हिस्से जैसे गुर्दे, हड्डी, आंत, गर्भाशय आदि में भी हो सकता है |

      रोग के मुख्य लक्षण हैं लगातार सूखी खांसी, बुखार, वजन कम होना, रात को पसीना आना, छाती में दर्द, भूख कम लगना और छोटी छोटी सांस लेना | यह एक मध्यम गति का संक्रामक रोग है जो हवा से (सांस द्वारा) फैलता है | रोगी के फेफड़े में अड्डा बनाए रोगाणु उसकी सांस से, खासने से या छींक से बाहर आते हैं जिससे उसकी नजदीकी हवा रोगाणुयुक्त हो जाती है | उस हवा को जब स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है तो ये रोगाणु उसके फेफड़े में परवेश कर उसे रोगी बना सकते हैं |

     रोगी के थूक में भी ये रोगाणु होते हैं और शरीर से निकले अन्य अवयओं में भी रोगाणु हो सकते हैं | उक्त लक्षण यदि किसी में हों तो उसे चिकित्सक के पास जाकर जांच करनी चाहिए | एक्सरे तथा थूक की जांच से ही रोग की पुष्टि होती है | विश्व स्वाथ्य संगठन के वर्ष 2014 के आंकलन के अनुसार हमारे देश में क्षय रोग से लगभग 22 लाख लोग ग्रसित हैं जबकि इस रोग से देश में प्रतिवर्ष 2 लाख 20 हजार मौतें होती हैं जो विश्व में सबसे अधिक है | रोगियों का सही अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि कई लोग निजी अस्पतालों में भी उपचार कराते हैं और कुछ लोग उपचार कराते ही नहीं अर्थात नीम-हकीमों या टोटका मास्टरों के पास जाते हैं |

     क्षय रोग से बचा जा सकता है बसरते लोगों को इसकी जानकारी हो | यह रोग गरीबी से भी जुड़ा है क्योंकि झुग्गी बस्तियों तथा दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लोग इस रोग के शिकार हो सकते हैं | गरीबी के कारण मुख्य समस्या हवादार मकान की होती है | गन्दगी भरे भीड़- भाड़ के क्षेत्रों तथा एक ही कमरे में कई लोगों के आवास से इस रोग का संक्रमण अधिक होता है | साथ ही उनका भोजन भी संतुलित और पूर्ण नहीं होता | धूम्रपान, हुक्का, नशा, तम्बाकू पदार्थ के सेवन से भी क्षय रोग हो सकता है | हुक्का पीने वालों में यदि एक व्यक्ति भी रोगी हो तो अन्य सांझा हुक्का पीने वाले भी टी बी के शिकार हो सकते हैं |

      चिकित्सकीय जांच में यदि साबित हो जाय की अमुक व्यक्ति को क्षय रोग है तो उसका उपचार बहुत सरल जो सरकारी टी बी अस्पतालों एवं निजी उपचार केंद्र में उपलब्ध हैं | सरकारी क्षय रोग नियंत्रण केंद्र से मुफ्त में इलाज होता है जिसे DOTS (directly observed treatment short course ) उपचार कहते हैं | यह कोर्स छै से नौ महीने का होता है जिससे रोगी पूर्ण रूपेण स्वस्थ हो जाता है | देश में पहले राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण प्रोग्राम था जो अब नेसनल स्ट्रेटेजिक प्लान 2012-17 के रूप में चल रहा है |

    क्षय रोग से बचने के लिए बी सी जी टीका बच्चों को जन्म से तीस दिन के अंदर सरकारी टीकाकरण केंद्र में मुफ्त लगाया जाता है जबकि निजी अस्पतालों में भी यह टीका उपलब्ध है |  यदि हम स्वच्छता रखें, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष धूम्रपान और नशा न करें, हवादार (क्रॉस वेंटीलेसन ) आवास में रहे, बच्चों के जन्म पर ही टीका लगवाएं तथा स्वच्छ संतुलित भोजन लेते रहे तो क्षय रोग से बच सकते हैं | अगली बिरखांत में कुछ और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.03.2018

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