मीठी मीठी - 70 : वसंत की महक
कवियों ने खूब कहा वसंत
संगीत में झूम बहा वसंत,
मादक बन कर ऋतुराज खड़ा
वीरों के पाग बंधा वसंत ।
भव्य प्रकृति का अच्छादन
नाचे धरती इठलाये गगन,
हुई वसुंधरा पल्लवित पुष्पित
बिछ गयी रंगोली वन उपवन ।
वसंती चादर ओड़ खड़ी
पीली सरसों उल्लास जड़ी,
बौराती हलचल चहक उठे
एक छटा निराली निखर पड़ी ।
कोयल की कूक में छाए वसंत
फूलों पर रंग बिखराये वसंत
कलियों पर भौंरे मंडराए
तितली संग उड़कर आया वसंत ।
तरु-तरु पर नई कोपलें खिलीं
मुस्काने लगी नन्हीं सी कली
चहुँ ओर वसंती यौवन देख
मदमाती वसंती बयार चली ।
( यादों की कलिका से...)
(आज वसंत पंचिमी की सभी मित्रों शुभकामनाएं । )
पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.01.2018
No comments:
Post a Comment