Sunday 21 January 2018

Vasant : वसंत की महक

मीठी मीठी - 70 : वसंत की महक

कवियों ने खूब कहा वसंत
संगीत में झूम बहा वसंत,
मादक बन कर ऋतुराज खड़ा
वीरों के पाग बंधा वसंत ।

भव्य प्रकृति का अच्छादन
नाचे धरती इठलाये गगन,
हुई वसुंधरा पल्लवित पुष्पित
बिछ गयी रंगोली वन उपवन ।

वसंती चादर ओड़ खड़ी
पीली सरसों उल्लास जड़ी,
बौराती हलचल चहक उठे
एक छटा निराली निखर पड़ी ।

कोयल की कूक में छाए वसंत
फूलों पर रंग बिखराये वसंत
कलियों पर भौंरे मंडराए
तितली संग उड़कर आया वसंत ।    
                                                         तरु-तरु पर नई कोपलें खिलीं
मुस्काने लगी नन्हीं सी कली
चहुँ ओर वसंती यौवन देख
मदमाती वसंती बयार चली । 
       
( यादों की कलिका से...)

(आज वसंत पंचिमी की सभी मित्रों  शुभकामनाएं । )

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.01.2018

No comments:

Post a Comment