Tuesday 30 January 2018

Bandar : बानर बधियाकरण

मीठी मीठी - 75 : बानर बधियाकरण

     बहुत दिनों के बाद उत्तराखंड से एक हर्ष समाचार अल्मोड़ा से छपने वाले कुमाउनी साप्ताहिक समाचार पत्र  "कुर्मांचल  अखबार"  

( 22.01.2028 ) में छपा है कि अब अल्मोड़ा नगर में बानरों का आतंक समाप्त हो जाएगा । बंदरों को पिजरों में पकड़ कर उनका बधियाकरण (नसबंदी शल्य चिकित्सा) किया जाएगा जिसके लिए पचास लाख रुपये मंजूर हो गए हैं । 

      यदि उत्तराखंड सरकार इस तरह से बानर संख्या को नियंत्रण करेगी तो लोग उस खेती को पुनः आबाद करेंगे जो उन्होंने बानर-उत्पात के कारण छोड़ दी है । उत्तराखंड के नगर- गाँव सब बंदरों से अटे पड़े हैं । एक महिला ने फौन पर बताया, " भुला बानर भतेर बै सामान त ल्ही जां रईं, हागि लै जां रईं । बानरों क गू पोछनै मरि गोयूं ।" ( भाई जी बंदर घर से सामान ले जाते हैं, मल-मूत्र कर जाते हैं , उस मल -मूत्र की सफाई में ही लगी रहती हूं ।)

     यदि यह कार्य ठीक से क्रियान्वित होगा तो राहत मिलेगी अन्यथा राजधानी में बढ़ती हुई कुत्तों की संख्या जैसा हाल होगा । कहने को दिल्ली में कुत्तों का बंध्याकरण होता है परन्तु जमीन में कुत्तों की संख्या बढ़ते जा रही है । कई बार बुलाने पर  पांच कर्मियों सहित सरकारी पशु एम्बुलेंस आई और एक मरियल सा कुत्ता पकड़ कर चली गई । दर्जनों कुत्ते घूम रहे थे परन्तु एम्बुलेंस विराजित इस पंच- टोली ने कुत्ते पकड़ने का प्रयास ही नहीं किया ।

     सरकारी कर्मियों की उदासीनता के कारण किसी भी विभाग में कार्य क्रियान्वयन नहीं होता चाहे वह पौधरोपण हो, नदी सफाई हो, यातायात नियमितता हो या कोई अन्य । सरकारी कर्मियों की उदासीनता के कारण ठेकेदारी प्रथा को बल मिला है और निजीकरण में ही उज्ज्वल भविष्य दिखाई देने लगा है । क्या हमारे देश में कर्म- संस्कृति का विकास होगा या बिना काम किये वेतन संग बोनस मिलता रहेगा ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
31.01.2018

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