Sunday 14 January 2018

Utraini kautik : उतरैणी कौतिक द्वारका

मीठी मीठी - 66 : उतरैणी कौतिक 2018 : द्वारका

    12 जनवरी 2018 को  कालिंका चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारका द्वारा साहब सिंह वर्मा स्टेडियम कंकरौला दिल्ली में आयोजित कुमाउनी - गढ़वाली कवि सम्मेलन में 13 जनवरी 1921 के स्मरण में भी अन्य 12 कवियों की कविताओं के साथ एक कविता प्रस्तुत की गई । कवि सम्मेलन के अध्यक्षता वरिष्ठ कवि केशवान जी और संचालन दिनेश ध्यानी जी ने किया आयोजन टीम के अध्यक्ष श्री विनोद रावत जी उनकी टीम के सदस्य श्रीमती माया लोहनी जी, श्री कुलदीप लोहनी जी, श्री शिव चरण मुंडेपि जी, सुरु रावत जी आदि सहित सबके प्रयास से यह साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आयोजन बहुत सफल रहा ।

     इस भव्य आयोजन में देश के कपड़ा राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा जी ने भी हमारी भाषा, साहित्य, संस्कृति और उत्सवों को संजोए रखने का आह्वान किया । 13 जनवरी 1921 को बागेश्वर के उतरैणी कौतिक में कुमाऊँ केसरी बद्रीदत्त पांडे जी की हुंकार पर "कुली बेगार" के रजिस्टरों को सरयू-गोमती के संगम में बहा दिया गया और उत्तराखंड के लोगों ने कुली बरदायस से हमेशा -हमेशा के लिए मना कर दिया । अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर लोगों के मर-मिटने के जोश और जज्बे  को देखकर गोली नहीं चला सका ।

     उतरैणी त्यौहार के दिन उत्तराखंड के उन शहीदों का स्मरण भी नितांत आवश्यक है जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी । खुमाड़ गोली कांड (05.09.1942) में चार स्वतंत्रता सेनानी - गंगा राम, खीमानंद, बहादुर सिंह और चूड़ामणि भी इसी कड़ी में शहीद हो गए । इन अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि । उतरैणी कौतिक के साथ इन अमर शहीदों का बलिदान हमें बताता है कि जब देश स्वतंत्रता संग्राम लड़ रहा था तो उत्तराखंडी भी पीछे नहीं रहे । उन्होंने इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी के साथ अपना बलिदान भी दिया । इस इतिहास को भी सांस्कृतिक मंचों पर अन्य मनोरंजन गीतों के साथ मंचित किया जाना चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
13.01.2018

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