खरी खरी - 164 : 68वां अशोक चक्र (मरणोपरांत)
26 जनवरी 2018 को मैंने एक सर्वे 'अशोक चक्र' के बारे में भी की । जिससे भी पूछा उसे इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं थी । हां, इतना जरूर कुछ लोगों ने बताया कि यह 'मिलट्री वालों को मिलता है ।' देश के लिए अपना बलिदान देने वाले सूरमाओं को बहादुरी के लिए प्रदान किये जाने वाले अलंकरणों की जानकारी हमें होनी चाहिए । इन्हीं की बदौलत तो हम अपने घरों में अमन-चैन से बैठे हैं ।
'अशोक चक्र' शांति के समय दिया जाने वाला 'परमवीर चक्र' के समकक्ष देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है । यह जमीन, पानी या हवा में दुश्मन के सम्मुख प्रत्यक्ष रूप से सर्वोत्तम वीरता या अत्यंत साहस या बहादुरी या स्वबलिदान के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च अलंकरण है । यह सैन्य सेवा के सभी रैंकों, अन्य सुरक्षकर्मियों एवं नागरिकों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा गणतंत्र दिवस परेड के समय राजपथ नई दिल्ली में प्रदान किया जाता है ।
वर्ष 1952 से 2018 तक यह सम्मान 68 सूरमाओं को दिया जा चुका जिनमें 56 को यह मरणोपरान्त प्रदान किया गया जिनकी तीन भाषाओं (कुमाउनी, हिंदी और अंग्रेजी ) में चर्चा मैंने पुस्तक 'महामनखी' में की है । स्वतंत्रता से पहले इस सम्मान को 'जॉर्ज क्रॉस' कहते थे । इस पुरस्कार के लिए ₹12000/- प्रतिमाह दिये जाते हैं । इस वर्ष 26 जनवरी 2018 को यह सम्मान भारतीय वायुसेना (13 RR ) के कारपोरल/कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को मरणोपरांत दिया गया जिसे राजपथ पर शहीद की माँ (मालती देवी) और पत्नी (सुषमानंद) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी के हाथों ग्रहण किया । निराला ने 18 नवम्बर 2017 को बांदीपुरा (जे & के) में दो आतंकवादियों को एक मुठभेड़ में अकेले ही मार गिराया । इस मुठभेड़ में वे घायल होकर वीरगति को प्राप्त हुए । उस मुठभेड़ में सेना ने छै आतंकवादियों को बाद में ढेर कर दिया । निराला को विनम्र श्रद्धांजलि और सलूट । तुम भलेही लौट कर घर नहीं आये निराला परन्तु पूरा भारत तुम्हारे परिवार के साथ है ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.01.2018
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