मीठी मीठी -74 : हमारे बहादुर बच्चे
हमारे देश में प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार' भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा वर्ष 1957 से प्रधानमंत्री के हाथ से प्रदान किये जाते हैं । प्रत्येक राज्य में परिषद की शाखा है । प्रतिवर्ष 1 जुलाई से 30 जून के बीच 6 वर्ष से बड़े और 18 वर्ष से छोटी उम्र के वे बच्चे ग्राम पंचायत, जिला परिषद, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख एवं जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद परिषद की राज्य शाखा को आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दूसरों की जान बचाई ।
इस पुरस्कार के लिये पुलिस रिपोर्ट एवं अखबार की कतरन प्रमाण के बतौर होनी चाहिए । 1957 से 2017 तक यह पुरस्कार 963 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 680 लड़के और 283 लड़कियां हैं । पुरस्कार में चांदी का पदक, नकद राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है । सर्वोच्च बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और विशेष बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा सुर बापू गयाधानी पुरस्कार दिया जाता है । ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेते हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलते हैं ।
इस वर्ष यह पुरस्कार 18 बहादुर बच्चों को प्रदान किया गया जिनमें 3 मरणोपरांत हैं । इन बच्चों में 11 लड़के और 7 लड़कियां हैं । उत्तराखंड के मास्टर पंकज सेमवाल भी पुरस्कार पाने वाले 18 बच्चों में से एक हैं । देश में उत्तराखंड का नाम ऊँचा करने वाले वीर बालक मास्टर पंकज सेमवाल को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.01.2018
No comments:
Post a Comment