खरी खरी - 156 : ये किसान तेरे हाल पै रोना आया !
देश की राजधानी की पॉश कालोनियों जहां सब्जियां सबसे महंगी बिकती हैं वहां आजकल बड़ा आलू ₹ 10/- प्रति किलो और छोटा आलू ₹ 5/- प्रति किलो बिक रहा है । कल्पना कीजिये किसान से यह किस भाव खरीदा गया होगा ?पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आलू की बम्पर फसल होने से वहां दो रुपया किलो में भी किसान का आलू नहीं बिक रहा है । इस आलू को उगाने में किसान को ₹ 500/- प्रति क्विंटल से अधिक खर्च करना पड़ा है जबकि सरकार ने ₹ 487/- प्रति क्विटल समर्थन मूल्य की घोषणा करने के बाद भी नौकरशाही की हीलाहवाली से खरीददारी नहीं हो रही । बताया जा रहा है कि मात्र 1%से भी कम आलू खरीद हुई है ।
आज दुखित किसान सड़क पर आलू फैंक रहा है और कोल्डस्टोरेज वाले भी किसान द्वारा आलू नहीं उठाए जाने के कारण सड़क पर आलू गिराने को मजबूर हैं । किसान को कोल्ड स्टोरेज में भी आलू रखने के लिए प्रति बोरी ₹ 220/- किराया देना पड़ता है । कोल्डस्टोरेज में जगह भी नहीं है ।
केंद्र और राज्यों की सरकारें हमेशा ही कहती हैं कि वे किसान हितैषी हैं । यदि किसान हितैषी हैं तो आलू सड़क पर क्यों गिराया जा रहा है । 20 ग्राम आलू चिप्स का हवा भरा हुआ पैकेट बाजार में ₹ 10/- में बिक रहा है । कहाँ है हमारा खाद्य संस्करण मंत्रालय ? बम्पर फसलों के उचित दाम नहीं मिलने से किसान मजबूर होकर आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं जो उचित नहीं है । इस सरकारी उदासीनता को देखकर आज का युवा किसान बनने को तैयार नहीं है । यदि यही हाल रहा तो एक दिन यह सोना उगलने वाली धरती गुम होते किसानों के कारण बंजर हो सकती है । कब चेतेगी किसान हितैषी सरकार ? सुनो सरकार -
'ये किसान तेरे
हालात पै
रोना आया,
कभी आपदा ने
तो कभी बम्पर ने
तुझे रुलाया ।'
पूरन चन्द्र काण्डपाल
11.01.2018
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