मीठी मीठी - 482 : यादों की कालिका
यादों की विकसित कालिका की
मधुर सुगंध की भूल न जाना ।
राह जिन्होंने हमें दिखाई ,
उन पथिकों को भूल न जाना ।
दिवस माह यहां वर्ष बिताए
हर पल आशा दीप जलाए,
आशा के प्रज्ज्वलित दीपों की
जगमग ज्योति नहीं बुझाना ।
यादों की...
त्याग परिश्रम से जतन लगाई
कठिन राह चल मंजिल पाई,
राह में ज्योति जिन्होनें जगाई
उन ज्योतिपुंज को भूल न जाना ।
यादों की...
शहीद मातृभूमि रहे स्मृति में
साहस धैर्य न तजे विपत्ति में,
लुप्त हो रहे मूल्य मानव के
पुनर्जीवित तुम करते जाना ।
यादों की...
बुलंद इरादे छुओ आकाश
जीत संकल्प आशा विश्वास,
जीवन के इस मूल मंत्र को
भूल कर भी नहीं भुलाना ।
यादों की...
(कविता संग्रह 'यादों की कालिका ' से )
पूरन चन्द्र कांडपाल
12.07.2020
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