Thursday 16 July 2020

Kat pest fwd ka harela : कट पेस्ट फारवर्ड का हरेला

खरी खरी- 665 : कट-पेस्ट फारवर्ड का हरेला

    कल 16 जुलाई 2020 को हरेले की टोकरी की कट-पेस्ट भेजते हुए कई मित्रों ने (सबने नहीं) सोसल मीडिया में जम के हरेला मनाया । पूरे दिन यही चलता रहा । इक्का-दुक्का मित्रों के सिवाय किसी ने भी पेड़ रोपने का चित्र नहीं भेजा । यह भी हो सकता है कि उन्होंने पेड़ रोपा हो औऱ चित्र नहीं भेजा हो । हरेला हरियाली का त्यौहार है, धरती के श्रंगार का त्यौहार है इसलिए पावस (चौमास) ऋतु में मनाया जाता है ।

     हम दिन भर कट-पेस्ट में पढ़ते रहे "जी रया, जागि रया...।" जब धरती हरित ही नहीं रहेगी तो भावी पीढ़ी कैसे जीवित रहेगी ? कितना अच्छा होता लोग कुदाल-खुरपी उठाते और एक पौधा रोपते । मात्र 5- 10 मिनट का काम । जी हां, कोई भी पेड़, जगह के हिसाब से कहीं भी रोपते - घर के पास, खेत में, कार्यालय में, किसी जंगल-पार्क में । ऐसा करने से आत्मशांति मिलती । लेकिन ऐसा बहुत कम हुआ । यदि किसी ने ऐसा किया तो सुकून और गर्व की बात है ।

     हम तंत्र, निकाय या सरकार पर कार्य नहीं करने का आरोप तुरंत मढ़ देते हैं । जिस प्रकार हम सोसल मीडिया में कट-पेस्ट भेज कर संतुष्ट हो रहे हैं उसी तरह हमारे अधिकांश नेता भी शोर-शराबा करके निकल पड़ते हैं । जिस तरह हमने पौध रोपण का क्रियान्वयन नहीं किया वैसे ही बिना कार्य क्रियान्वयन के नेतागण भी चल देते हैं । दूर जाने की जरवत नहीं है । हम अपने इर्द-गिर्द देखें, पूरी सच्चाई नजर आ जायेगी । हमें त्यौहार के बहाने ही सही अपने देश-समाज हित में यथाशक्तिनुसार कुछ तो क्रियान्वयन की संस्कृति अपनानी होगी तभी भावी पीढ़ी को हम हरी -भरी धरती सौंप सकेंगे । कट- पेस्ट फारवर्ड के हरेले से धरा हरित नहीं होगी । यथा बिन रोटी खाये पेट की आग ठंडी नहीं होगी ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.07.2020

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