खरी खरी - पार्क : नाच, परमेसरा नाच ! भली नाचिए !
राज्य और देश में भ्रष्टाचार भौत सोचि, समझि और समइ बेर हूंरौ । उसके हूंरौ जसिक एक डंगरी जगरियाक इशारल आपण कपाव बचूं रौ।
दृश्य -
दुलैंच में डंगरी भैटि रौ,
जगरी (दास) ठीक वीक
सामणि भैटि रौ।
सब जागर देखें रईं,
चाख अटासेल हैरौ।
जगरी ढोल में
कट्टैक मारनै
डंगरी हूं कूंरौ -
नाचैं रौछै नाच,
भली नाचिए
परमेसर,
भली नाचिए।
त्येरि दुलैंचक
ठीक माथ बै
घोड़ि (खूंटी) छ रे
घोड़ि छ परमेसर,
ठाड़ है बेर
झन नाचिए,
पट्टम चारि कपाव
भटकियल,
खुन्योव है जालि
रे खुन्योव ।
डंगरी नाचैं फै गोय,
वील दास कि बात
पर ध्यान नि दी।
दास जोरैल बलाय -
धर्मिया बाबू...
होश से...
कपाव भटिक
रहा ऊपर से...
डंगरी समझि गोय
उ नाचौ,
खूब हलकि
बेर नाचौ,
पर घोड़ि है
बचि बेर नाचौ।
जागर देखणियांल
जगरियकि बात
पर ध्यान लै
नि दी और
जागर लै है गेइ।
यसिके जनता कि
नजर बचै बेर हुंछ
सबूं सामणि भ्रष्टाचार।
भल करिए परमेसरा,
जनताक आंख लै
खोलि दिए ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
11.07.2020
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