खरी खरी - 661 जिंदगी क हाल
जिन्दगी उकाव
जिन्दगी होराव,
कभैं अन्यार औंछ येमें
कभैं छ उज्याव ।
सुख दुखा बादल येमें
आते जाते रौनी,
सिद बाट कम येमें
टयाण ज्यादै औंनी ।
कभैं यां तुस्यार जौ लागूं
कभैं तात मुछ्याव ।
जिन्दगी...
कैं खुशी का नौव येमें
कैं दुख कि गाड़,
कैं छ गुलाब- हांजरी
कैं कना कि बाड़ ।
कैं सुखी गध्यार येमें
कैं पाणी का पन्याव ।
जिन्दगी...
जिन्दगी क म्यल मजी
मैंस कसा कसा,
गिरगिट जौस रंग देखूनी
आँसु मगर जसा ।
कैं भुकणी कुकुर येमें
कैं घुरघुरू बिराउ ।
जिन्दगी...
जिन्दगी में औनै रनी
रस कसा कसा,
कैं कड़ुवा नीम करयाला
कैं मिठ बत्यासा ।
कैं खट्ट अंगूर येमें
कैं मिठ हिसाउ ।
जिन्दगी...
कैहुणी नागफणी येमें
कैहुणी क्वैराव,
कैहुणी लंगण छीं यां
कैहुणी रैंसाव ।
कैहुणी यौ मिठी शलगम
कैं क्वकैल पिनाउ ।
जिन्दगी...
कैहुणी किरमाडू छ य
कैहुणी कांफोव,
कैहुणी बगिच कैहूणी
घनघोर जंगोव ।
कैहुणी धान कि बालड़ि
कैहुणी पराव ।
जिन्दगी...
कैहुणी छ झोल येमें
कैहुणी गुलाल,
क्वे उडूँ रौ मुफत की
कैक हूं रौ हलाल ।
क्वे मानछ धान ख़्वारम
क्वे लगूं दन्याव ।
जिन्दगी...
उकाव -होराव मजी
सब छीं रिटनै,
कैं दगड़ी मिलि जानी
हिटनै - हिटनै ।
जै पर यकीन करौ
वील करौ छलाव ।
जिन्दगी...
के तू यां लि बेर आछै
के तू यां बै लि जलै
के ट्वील यां कमा
सब यां ई छोडि जलै।
तेरि नेकी बदी कौ
रै जालौ लिखाव ।
जिंदगी...
पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.07.2020
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