Tuesday 21 July 2020

Shaheed smarak Nai Dilli : शहीद स्मारक नई दिल्ली

मीठी मीठी - 486 : जानिए राष्ट्रीय शहीद स्मारक (वार मेमोरियल)

       देश में राष्ट्रीय शहीद स्मारक नई दिल्ली लगभग 22,600 जवानों के प्रति सम्मान का सूचक है जिन्होंने आजादी के बाद से अनेकों लड़ाइयों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। 40 एकड़ में फैले इस छह भुजाओं (हेक्सागोन) वाले आकार में बने इस स्मारक के केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसके नीचे अखंड ज्योति जलती रहती है । स्मारक में भित्ति चित्र, ग्राफिक पैनल, शहीदों के नाम और 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्तियां भी लगाई गई हैं । साथ ही स्मारक को चार चक्र पर केंद्रित किया गया है जिसे अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र नाम दिया गया है। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है । हमें देश के लिए अपना बलिदान देने वाले इन राष्ट्र प्रहरियों को हमेशा विनम्र सम्मान प्रकट करना चाहिए और शहीद परिवारों का भी सदैव सम्मान करना चाहिए ।

      इस स्मारक में शहीदों के नाम दीवार की ईटों में उभारकर लिखे गए हैं । स्मारक का निचला भाग अमर जवान ज्योति इंडिया गेट नई दिल्ली जैसा रखा गया है । स्मारक के डिजाइन में सैनिकों के जन्म से लेकर शहादत तक का जिक्र है। ऐसी गैलरी भी है जहां दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी को प्रदर्शित किया गया है। ये स्मारक उन बलिदानियों की कहानी बताता है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए ।

    स्मारक के दर्शनार्थ प्रवेश मुफ्त है। प्रतिदिन खुला रहने वाला यह स्मारक नवंबर से मार्च तक सुबह 9 बजे से शाम साढ़े 6 बजे तक और अप्रैल से अक्टूबर तक यह सुबह 9 बजे से शाम साढ़े 7 बजे तक खुलेगा । प्रतिदिन सूर्यास्त से ठीक पहले रिट्रीट सेरेमनी होती है । रविवार सुबह 9.50 बजे चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी होती है जो करीब आधे घंटे चलती है ।  इंडिया गेट के पास बने इस शहीद स्मारक की 16 दीवारों पर 25,942 शहीदों की चर्चा है । ग्रेनाइट पत्थरों पर शहीदों के नाम, रैंक व रेजिमेंट का उल्लेख किया गया । इन शहीदों ने 1947, 1961 गोवा, 1962, 1965, 1971,1987 सियाचिन व 1999 के युद्धों तथा श्रीलंका में शांति बहाल कराने सहित सीमा की रक्षा के अन्य अभियानों के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान दिया । 1971 के भारत- पाक युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में इंडिया गेट के नीचे 1972 में प्रज्ज्वलित की गई अमर जवान ज्योति भी जलती रहती है । प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में अंग्रेजों ने इंडिया गेट बनवाया था । (साभार स्मारक सूचना ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल
22.07.2020

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