Monday 28 January 2019

Rana ji negi ji : राणा जी और नेगी जी

मीठी मीठी - 226 : उत्तराखंड की दो बहुआयामी धरोहर


       27 जनवरी 2019 को उत्तराखंड महाकुम्भ रास विहार ( मंडावली ) नई दिल्ली में सातवें 'कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान' -2018 अर्पण समारोह के दौरान उत्तराखंड की दो बहुआयामी धरोहरों से भेंट हुई । कुमाऊँ और गढ़वाली भाषा के लोकगायकी, लोकसाहित्य, कविता और गीत- संगीत के दो अद्वितीय धरोहर हीरा सिंह राणा जी और नरेन्द्र सिंह नेगी जी के साथ एक लघु भेंट के अवसर पर गीत-कविता के साथ ही अपनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की चर्चा भी हुई । दोनों विभूतियों के साथ मिलन मेरे लिए एक अविष्मरणीय पल था ।

        इन दोनों के काव्य -साहित्य समंदर में से कुछ मोती चुने हैं मैंने: - 

     'शहीदों नमन छीं, तुमुकैं धन छीं'

     'लसका कमर बादा, हिम्मतक साथा'

     'उत्तराखंडकि भूमि त्येरी जै जै कार'

     'म्यर मानिलै डानि त्येरि बल्याई ल्युल'

     'अहारे जमाना, ओ हो रे जमाना'... ।
     (राणा ज्यू..... अनंत)

     'म्यर गढ़ देशा हे...'

     'भल लागन्द भानुली तेरो...'

     'उठा जागा उत्तराखंडियों...'

     'तेरा जुल्मों को हिसाब चुकौला एक दिन'

     'एकजुट एकमुठ ह्वै जावा..'
     (नेगी ज्यू......अनंत)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.01.2019

     

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