Thursday 17 January 2019

Putrada ekadashi : पुत्रदा एकादशी

खरी खरी - 372 :  पुत्रदा एकादशी

     सुना है आज 17 जनवरी 2019 को कुछ लोग अपनी पत्नी से पुत्रदा एकादशी का व्रत रखवा रहे हैं । आपको, पत्नी को, दादा- दादी को, परिवार में सबको पुत्र चाहिए । किसी किसी के घर में तो तीन -तीन पुत्रियाँ पहले से हैं । नारे तो 'बेटी ये...और बेटी वो...' के लगाए जा रहे हैं । वोट मांगने वाले भी चिल्ला रहे हैं 'बेटी बेटी' भलेही अपने घर में मां, पत्नी, बहू या बेटी से अवांच्छित व्यवहार करें ।

       पुत्र की चाह में यह पुत्री का अपमान है । ठीक से परवरिश होने पर बेटी आज किसी भी क्षेत्र में बेटे से कम नहीं है । विज्ञान, कला, साहित्य, प्रबंधन, सेना, पुलिस, राजनीति सहित कोई भी क्षेत्र अब बेटी से वंचित नहीं है । प्रथा-परम्परा के नाम पर अंधविश्वास की जंजीर से बंधे कुछ लोग आज भी बेटी को दूसरे दर्जे का नागरिक समझते हैं । उन्हें वंश चलाने, पिंडदान -श्राद्ध  करने, बहू के साथ दहेज लाने के लिए बेटा चाहिये । 'son syndrome' (पुत्र चाह) नामक बीमारी से ग्रसित ये लोग अपनी बेटी को आज भी पराया धन समझते हैं । यह अब गैर कानूनी तो है, बेटियों का सरासर अपमान भी  है ।

       हमें समय के अनुसार बदलाव स्वीकार करना चाहिए । हमारे लिए दो बच्चे ही घर में अच्छे हैं चाहे वे पुत्र हों या पुत्री । हमें पुत्री को भी वही शिक्षा और वातावरण देना चाहिए जो हम बेटों को देते हैं । कुछ लोग ऐसा कर भी रहे हैं । माता या पिता के दिवंगत होने पर अब बेटियाँ अर्थी को कंधा देती हैं और शव को मुखाग्नि देती हैं । अटल जी की नातिन ने यह सब किया । अतः 'पुत्रदा' के नाम पर व्रत रखवाना लड़की की तौहीन करने जैसा है । वैसे भी व्रत रखने से पुत्र नहीं होता, हां तुक्का लगने से किसी की दुकान जरूर चलती है । पुत्र 'xy' क्रोमोजोम के मिलन से होता है (यह भी विज्ञान के हाथ में नहीं है),  जिसकी चर्चा पहले कई बार कर चुका हूँ । अतः 'पुत्रदा' का जाप छोड़कर मात्र दो बच्चों से ही संतुष्टि होनी चाहिए चाहे वे पुत्र हों या पुत्री ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.01.2019

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