Thursday 3 January 2019

राष्ट्रगीत वंदेमातरम

खरी खरी - 364 : राष्ट्रगीत वंदे मातरम
   
     कुछ मित्रों ने 'वंदेमातरम' राष्टगीत के बारे में जिज्ञासा जाहिर की है । वर्ष 1876 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने सन्यासी विद्रोह पर आधरित 'आनंद मठ' पुस्तक में यह गीत लिखा । 1896 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगौर ने कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में इस गीत को स्वर दिया । 1905 में अखिल भारतीय कांग्रेस के वाराणसी अधिवेशन में इसे आजादी की लड़ाई का गीत बनाया गया । बाद में अंग्रेजों ने इस गीत पर प्रतिबंध लगा दिया । आजादी के बाद संविधान सभा में इसे 'राष्ट्रगीत' का दर्जा मिला जबकि 'जनगणमन' को राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया ।

        'वंदेमातरम' गीत पर देश में अक्सर राजनीति होती है । परन्तु इसे गाया जाना स्वैच्छिक है अर्थात राष्ट्रगान की तरह अनिवार्य नहीं । (यदि है तो मेरी जानकारी भी बढ़ाएं ।)  कई बार यह भी सुनने को मिलता है कि अमुक ने इसे अमुक जगह जरूर गाने या बोलने पर बाध्य किया । देशप्रेम की बात तब जोर-जबर्दस्ती नहीं हो सकती जब इस पर राजनीति हो । हमारा राष्ट्र ध्वज तिरंगा है । हम इसकी आन-बान-शान पर कुर्बान होने की शपथ लेते हैं । इसके लहराते ही हम 'राष्ट्रगान: गाते हैं या इसकी धुन बजाते हैं । हमें अपने दिल से 'राष्ट्रगान' का सम्मान करना चाहिए और इसके गाने के वैधानिक नियमों को भी समझना चाहिए । साथ ही हमें अपने 'राष्ट्रगीत' का सम्मान भी करना चाहिए भलेही इसके गाने या समय की कोई वैधानिक नियमावली नहीं है ।

       कुछ दिन पहले हमने 'वंदेमातरम' के बारे में कई मित्रों से चर्चा की । सभी वर्ग- आयु के लोगों से इसके बारे में पूछा । जो 'वंदेमातरम' को हर जगह जबरजस्ती अनिवार्य करने के पक्ष में थे उनमें से किसी को भी राष्ट्रगीत का 'तीसरा शब्द' भी मालूम नहीं था । कई लोग तो 'राष्ट्रगान' भी अच्छी तरह नहीं जानते । पहले हम 'राष्ट्रगान' और 'राष्ट्रगीत' को स्वयं याद करें और इनका शुद्ध उच्चारण और भावार्थ समझें तब अन्य मित्रों से इसकी उम्मीद करें । जो मित्र राष्ट्रगीत को जानने की जिज्ञासा रखते हैं उनके लिए इसका आरंभिक छंद नीचे उधृत है :-

वन्दे मातरम.. वन्दे मातरम्..
सुजलां सुफलां मलयज शीतलाम्
शस्य श्यामलां मातरं वन्दे मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिनीम्,
सुखदां वरदां मातरम,वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम.. वन्दे मातरम् ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
04.01.2019

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