Sunday 27 January 2019

Padmshree : पद्मश्री

मीठी मीठी - 223 : चाहिए दो अदद पद्मश्री

        हमारे देश में गणतंत्र दिवस के अवसर पर चार नागरिक सम्मान दिए जाते हैं – भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री | भारत रत्न को छोड़ अन्य तीनों को पद्म सम्मान कहते हैं | पद्म सम्मान प्रति वर्ष अधिकतम 120 लोगों को दिए जा सकते हैं । वर्ष 2016 में ये 112 विभूतियों को, 2017 में 89 विभूतियों को और 2019 में 112 विभूतियों को दिए गए | किसी एक व्यक्ति को ये तींनों सम्मान मिल सकते हैं लेकिन इसे पाने में कम से कम पांच वर्ष का अंतर होना चाहिए | पद्म सम्मान मरणोपरांत नहीं दिए जाते |

        इस सम्मान का नामांकन प्रति वर्ष 1 मई से 15 सितम्बर तक किया जाता है जो राज्य या केंद्र सरकार के माध्यम से होता है | राज्य सरकारें जिला प्रशासन से नामांकन मांगती है | इसके अलावा कोई सांसद, विधायक, गैर सरकारी संगठन (एन जीओ ) या कोई व्यक्ति भी अपने स्तर पर किसी को इस सम्मान के लिए नामंकित कर सकता है |  प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत बनी एक समिति इसे अंतिम रूप देती है और अंत में प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति इस पर अपनी मुहर लगाते हैं |

         उत्तराखंड में दो ऐसी लोकप्रिय विभूतियाँ हैं जिन्हें लोकप्रियता और जन-मानस की भावना के आधार पर पद्म सम्मान दिया जाना चाहिए | ये दो लोकप्रिय सितारे हैं श्री हीरा सिंह राणा (हिरदा ) और श्री नरेंद्र सिंह नेगी ( नरेन्दा या नरुदा ) | हिरदा का जन्म 13 सितम्बर 1942 को मनीला (अल्मोड़ा, उत्तराखंड) में हुआ | वे विगत 50 वर्षों से अपनी गीत- कविताओं के माध्यम से लोक में छाये हुए हैं | उनकी कुछ पुस्तकें हैं- प्योलि और बुरांश, मानिलै डानि और मनखों पड़ाव में |

      नरेन्दा (नरुदा) का जन्म 12 अगस्त 1949 को गाँव पौड़ी (पौड़ी, उत्तराखंड) में हुआ | नरूदा भी विगत 45 वर्षों से अपने गीत-संगीत-कविता के माध्यम से लोकप्रियता के चरम पर हैं | नरुदा की रचनाएँ हैं- खुचकंडी, गांणयूं की गंगा स्याणयूं का समोदर, मुट्ठ बोटी की रख और तेरी खुद तेरु ख्याल |

        इन दोनों में लगभग कई समानताएं हैं | वर्तमान में दोनों क्रमश: कुमाउनी और गढ़वाली के शीर्ष गायक हैं, दोनों बहुत लोकप्रिय हैं, दोनों ही राज्य आन्दोलन से जुड़े रहे, दोनों भाषा आन्दोलन में संघर्षरत हैं, दोनों ही समाज सुधारक हैं, दोनों की कई कैसेट –सीडी हैं, दोनों के ही गीत संग्रह हैं, दोनों ही कविता पाठ भी करते हैं, दोनों का उच्च व्यक्तित्व है और दोनों ही कई सम्मान- पुरस्कारों से विभूषित हैं |

      इन दोनों की संघर्ष गाथा पुस्तक रूप में प्रकाशित है | हिरदा की संघर्ष यात्रा ‘संघर्षों का राही’ (संपादक-चारु तिवारी, प्रकाशक- उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच दिल्ली) और नरुदा की संघर्ष यात्रा ‘नरेंद्र सिंह नेगी की गीत यात्रा’ (संपादक- डा.गोविन्द सिंह, उर्मिलेश भट्ट, प्रकाशक- बिनसर पब्लिशिंग क.देहरादून ) का लोकार्पण हो चुका है | इन पंक्तियों के लेखक को इन दोनों विभूतियों के साथ काव्यपाठ करने का अवसर प्राप्त हुआ है | अत: उत्तराखंड की इन दोनों विभूतियों को वर्ष 2017 के गणतन्त्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया जाना चाहिए | इस हेतु उत्तराखंड सरकार को शीघ्र से शीघ्र उचित कदम उठाने चाहिए |

(यह लेख पुनः संपादित है जिसे पहली बार 02.02.2016 को प्रकाशित किया गया । 28.01.2017 को पुनः प्रकाशित किया गया और कई मंचों पर इसकी विस्तृत चर्चा भी हुई । आज 27.01.2019 को इसे पुनः प्रकाशित कर रहा हूँ ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल,
27.01.2019

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