Sunday 6 January 2019

Prem vivah : प्रेम विवाह

खरी खरी - 367 : प्रेम-विवाह में अभिभावक 


     लव मैरेज या प्रेम विवाह पर पूछे गए एक प्रश्न पर कहना चाहूंगा कि प्रेम विवाह में अभिभावकों को विश्वास में लेना जरूरी है । कुछ लोग जोखिम उठा रहे हैं जो तब तक सफल नहीं होते जब तक विनम्रता से सुलह नहीं कर लेते । शादी के लिए मात्र 6 लोग चाहिए । 2 वे प्रेमी खुद,  2 उधर के अभिभावक और 2 इधर के । बाकी सब तो उत्सव में नुक़्तेदार भागीदारी निभाते हैं । इसलिए शादी करने वालों ने उधर के 2 और इधर के 2 (दोनों ओर के माता-पिता या अभिभावकों ) को जरूर विश्वास में लेना चाहिए या तब तक प्रतीक्षा करनी चाहिए जब तक वे मान न जाएँ और हरी झंडी न दिखा दें । माँ-बाप आपका भला सोचते हैं । उनका अनुभव होता है । उनसे विद्रोह करना अनुचित । उनका दृष्टिकोण जरूर ठन्डे दिमाग से सोचें । देर- सबेर आप कहेंगे कि मेरे माता- पिता सही थे । बाद में यह न कहना पड़े "सबकुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया ।"


     स्मरण रहे यहां प्रेम -विवाह का विरोध नहीं किया जा रहा है । किसी भी विवाह की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि विवाह के पश्चात यह युगल एक- दूसरे के साथ कितना एडजस्ट (निभाना) कर सकता है । यह कटु सत्य है कि विवाह का एक नाम समझौता भी है क्योंकि  दोनों को ही यदाकदा ऐसा लगता है कि उनकी स्वतंत्रता, विचार और व्यवहारिकता का हनन हो रहा है । निष्कर्ष यह है कि प्यार करिये, अपनों को विश्वास में लीजिये, प्यार के बाद विवाह करिये और अंत तक निभाइए ताकि बेचारे प्रेम -विवाह पर कोई अंगुली न उठा सके ।


पूरन चन्द्र काण्डपाल

07. 01. 2019


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