खरी खरी - 131 : सभी चुप, सिर्फ उपराष्ट्रपति जी बोले
सेंसर बोर्ड से अभी जिस फ़िल्म 'पद्मावती' को प्रमाणपत्र नहीं मिला, जिस फ़िल्म को अभी तक किसी ने नहीं देखा उस पर हंगामा जारी है । श्रद्धा की देवी पद्मावती का अपमान हमारे देश में कोई नहीं करेगा और न कोई सहेगा । इस बात को दो सौ करोड़ रुपये से फ़िल्म बनाने वाला भी जानता है । फ़िल्म तो फिलहाल राजनीति के पड़पचे में उलझ गई है ।
इस मुद्दे पर उपराष्ट्रपति एम वेकैंया नायडू जी ने 25 नवम्बर 2017 को बहुत ही सौहार्दपूर्ण टिप्पणी की । उन्होंने कहा कि हिंसक धमकियां देना तथा किसी को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए इनाम की घोषणा करना लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है । विरोध प्रदर्शनों में अतिरेक नहीं होना चाहिए ।
आश्चर्य है कि बात है कि पद्मावती के मुद्दे पर फ़िल्म इंडस्ट्री की बड़ी हस्तियां चुप क्यों हैं ? बिग बी, किंग खान, मिस्टर परफेक्ट, बजरंगी भाईजान, निर्माता- निदेशक, लेखक, गीतकार, लता जी आदि इतना तो कह सकते थे कि 'सिर काटने की बात मत करो और बिना फ़िल्म देखे विरोध भी मत करो ।' देश में प्रजातंत्र है और शिष्ट भाषा में हम सब अपनी बात कह सकते हैं, सहमति या असहमति भी प्रकट कर सकते हैं ।
प्रजातंत्र में विरोध करो, आंदोलन करो परन्तु ऐसा हंगामा मत करो जिससे देश का सौहार्द बिगड़े और नफरत फैले या हिंसा हो । देश में कानून का राज है और कानून सर्वोपरि है । कुछ गलत होने पर वह अपना काम करेगा । फ़िल्म सेंसर बोर्ड की प्रतीक्षा करनी चाहिए । वीरांगना पद्मावती सहित नारी के सम्मान का पक्षधर समाज का कोई वर्ग विशेष अकेले नहीं है बल्कि पूरा राष्ट्र है । विरोध में अतिरेक प्रदर्शित करनेवालों को इस मुद्दे पर मंथन करना चाहिए और सेंसर बोर्ड की प्रतीक्षा करनी चाहिए ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
28.11.2017
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