Monday 6 November 2017

Gharwai bhakti : घरवाइ भक्ति

मीठी मीठी - 39 : घरवाइ कि भक्ति

कौसल्या केकई सुमित्रा
दसरथा क छी राणी तीन,
उं बारि बारि कै 
बजूंछी दसरथ क बीन,
अच्याल यूं तीनों क रोल
घरवाइ एकलै निभै दीं,
कौसल्या सुमित्रा कम
केकई जरा ज्यादै 
बनि बेर  दिखै दीं ,
जभणि क्वे मंथरा कि 
नजर लै जालि घरवाइ पार,
समझो घर में चलक ऐगो
बिगड़ि गो घरबार ।

भ्यार भलेही सबूं हैं
बागै चार गुगौ,
घर आते ही भिजाई 
बिराउ जास बनि जौ,
वीक सामणि फन फन
नि करो, मुनव कनौ,
खांहूँ नि लै बनै सकना
चहा तब लै बनौ,
साग-पात सौद पत्त ल्हीहूँ
उ दगै बाजार जौ,
समान उ आफी ख़रीदलि
तुम झ्वल पकड़ि
पिछाड़ि बै ठाड़ हैरौ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
03.11.2017

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