Tuesday 28 November 2017

Bazar mein nahee :बाजार में नहीं

खरी खरी - 130 : ये बाजार में नहीं मिलेंगे !

तुम्हारी कुंठा अहंकार ने
दूर रखा तुम्हें सदाचार से,
 पैसे से यदि मिल जाएं तो
ये चीजें ले आना बाजार से ।

खुशी नींद भूख स्वास्थ्य
संतोष सुमति ले आना,
कुछ दुआ आशीर्वाद देशप्रेम
कुछ संस्कार संस्कृति ले आना ।

मित्रता दोस्ती स्नेह सभ्यता
रिश्तेदार घर परिवार पड़ोस ले आना,
थोड़ा ज्ञान थोड़ी मुस्कान
थोड़ा शिष्टाचार भी ले आना ।

खूब दौड़ -भाग कर लो
तुम ढूंढते रह जाओगे,
परंतु ये सभी वस्तुवें
किसी बाजार में न पाओगे ।

कोई कितना ही मोल देदे
ये बाजार में नहीं मिलते,
मानव संवेदना स्रोत इनका
ये किसी दुकान में नहीं बिकते ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.11.2017

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