Saturday 25 November 2017

Kandaktar ashok : कंडक्टर अशोक का दर्द

खरी खरी - 129 : कंडक्टर अशोक के हाल पर रोना आया !

      गुरुग्राम (हरयाणा) के एक पब्लिक स्कूल में 8 सितंबर 2017 को हुए कक्षा 2 के  7 वर्ष के छात्र  प्रधुम्न हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था । उसकी हत्या के जुर्म में स्कूल बस के कंडक्टर अशोक ने 72 दिन तक जेल में दर्द भरी यातनाएं झेलीं । अशोक से इकबालिया बयान लेने के लिए हरयाणा पुलिस ने उसे बहुत यातनाएं दीं । सीबीआई ने अशोक की जगह उसी स्कूल के ग्यारहवीं कक्षा के एक छात्र को दोषी पाया । अब अशोक जुर्म मुक्त होकर जमानत पर जेल से बाहर है ।

     जेल से बाहर आने पर अशोक की जख्मी दयनीय दशा देख बहुत दुख होता है, रोना आता है । अशोक ने मीडिया को बताया, 'मुझे जुर्म अपने सिर लेने के लिए पुलिस ने बहुत मारा, उल्टा लटकाया, हाथ-पैर बांध दिए, बेहोशी के इंजेक्सन लगाए, बिजली का करंट लगाया । मैं बहुत रोया,  चिल्लाया फिर वे जैसा कहते गए मैं हामी भरते गया । मुझे बेवजह फंसाया गया । जेल में मेरी कोई सुनने वाला नहीं था । वहां बैठे-बैठे रोते रहता था । अब भी मेरे शरीर के हिस्से -हिस्से में दर्द है, बोलने - सांस लेने में भी दर्द होता है । अब मैं मजदूरी करने लायक भी नहीं रहा । बस उस मालिक के भरोसे जीवित हूं ।'

     स्वतंत्र भारत में अशोक कंडक्टर की यातना की कहानी बहुत पीड़ा पहुँचाती है । आखिर अशोक को बलि का बकरा क्यों बनाया गया ? पुलिस यातना में अशोक ने जो कष्ट झेला उसका जिम्मेदार कौन है ? अब अशोक को सदमे से बाहर लाने और उसका जीवन यापन करने में सहयोग कौन करेगा ? अशोक ने बेवजह जो 72 दिन जेल में काटे, जो कलंक उस पर लगाया गया उसकी भरपाई कौन करेगा ? अशोक को जिन्दी लाश बनाने वालों को कौन दंड देगा ? ये सभी प्रश्न हमारे वातावरण में गूंज रहे हैं । आशा है एक गरीब बेकसूर मजदूर के इन प्रश्नों की सिसकियां हमारे प्रजातंत्र में किसी के संज्ञान में तो आयेंगी और बुरी तरह टूट चुके अशोक को जरूर न्याय मिलेगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.11.2017

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