Tuesday 14 November 2017

Hawa mein jahar : हवा में जहर

खरी खरी - 122 : हवा में जहर

       7 नवम्बर से 10 नवंबर 2017 तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण चरम पर था जो अब भी कई जगहों में वैसा ही है । चिकित्सकों के अनुसार इस दौरान सभी लोग 22 सिगरेट के धुंए के बराबर प्रदूषण सांस में ले रहे थे ।  इस प्रदूषण के कई कारणों में मुख्य हैं इस क्षेत्र में सड़क पर दौड़ने वाले 97 लाख वाहन, निर्माण कार्य, कुछ औद्योगिक इकाइयां, सड़क पर पड़ी हुई धूल, पड़ोसी राज्यों की जलती हुई पराली, जहां- तहां कूड़ा- पत्ते जलाना, जनेरेटर और ढाबों-होटलों के धुआं उगलते सैकड़ों तंदूर । पटाखों का प्रदूषण यहां दीपावली से ही था । इस दौरान यहां 5 दिन तक स्कूल भी बंद रहे । यदि हम  नहीं चेते तो देश के सभी शहरों का यही हाल होगा ।

     इस बीच कुछ मित्रों का प्रदूषण विरोध  जनजागृति मुहीम में शामिल होने के लिए आभार । 14 वर्ष से कम उम्र के 40% बच्चों के फेफड़े राजधानी में प्रभावित हो चुके हैं । फिर भी दीपावली की रात और छट की सुबह खूब पटाखे चले जिससे खूब प्रदूषण हुआ । पटाखों के लिए अभिभावकों ने ही बच्चों को पैसे दिए होंगे या खुद पटाखे लाकर दिए होंगे । थोड़ा- थोड़ा करके सबने बना दिया राजधानी को गैस का चैंबर । NGT के आदेश से उठाये गए कदमों से स्थिति ठीक होने के उम्मीद है जबकि ऑड- ईवन की बात भी चल रही है ।

     जब जागो तब सबेरा । आगे की सुध लो । जीओ और जीने दो । एक-दूसरे पर दोषारोपण से अच्छा है पहले स्वयं सुधरें और जनजागृति करें । केवल सरकारों के भरोसे सुधार होना मुश्किल है । प्रदूषण के विरुद्ध जितने भी कानून बने हैं उन सबकी खुलेआम अवहेलना हम सब करते- देखते हैं । यदि हम अब भी नहीं चेते तो फिर हम ही अपने पैरों में कुल्हाड़ा मार रहे हैं ।  प्रदूषण के विरोध में मुहीम चलाना आज हम सबका सर्वोपरि कर्तव्य बन गया है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
15.11.2017

No comments:

Post a Comment