Sunday 12 November 2017

Gutkha dhuokmrpaan : गुटखा-धूम्रपान

खरी खरी - 121 :  गुटखा-धूम्रपान

गुटखा तम्बाकू धूम्रपान
लहू तेरा पी रहे सुनसान ।

खैनी गुटखा पान मसाला
चूना कत्था जर्दा वाला,
पुड़िया तम्बाकू मुंह उड़ेले
कब जागेगा तू इंसान ।

खुद को तो तू मार रहा
धुआं दूजे पर डाल रहा,
तेरे मुंह के धुमछल्लों से
सारा जग होता परेशान ।

अस्पताल बैंक रेल स्टेसन
घर दफ्तर आंगन बस स्टेसन,
गली मुहल्ला झड़क शौचालय
लाल किया तूने नादान ।

नुक्कड़ कोना खिड़की सीढ़ी
फैंके टुकड़े सिगरट बिड़ी,
कार्यालय का वाटर कूलर
बना दिया तूने थूकदान ।

नशा नहीं है ये तो जहर है
तुझ पै ढा रहा कैसा कहर है,
अभी वक्त है छोड़ नशे को
बन समाज का व्यक्ति सुजान ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
13.11.2017

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