मीठी मीठी - 32 : आज महर्षि वाल्मीकी जयंती
संस्कृत भाषा के आदि कवि, रामायण महाकाव्य के रचियता महर्षि वाल्मीकि की आज 5 अक्टूबर को जयंती के अवसर पर सभी मित्रों को बधाई और शुभकामना । तमसा नदी किनारे आश्रम में बैठे महर्षि वाल्मीकि के मुख से पहला श्लोक अनायास ही तब निकला जब उन्होंने कामभावना ग्रस्त क्रोंच पक्षी के जोड़े में से एक को बहेलिए द्वारा मार दिये जाने का दृश्य देखा । उन्होंने बहेलिए को श्राप देते हुए कहा -
"मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः
शाश्वतीः समाः ।
यतकरौंच मिथुना देकम
वधी काममोहितम ।।"
( हे निषाद तुम अनंत वर्षों तक प्रतिष्ठा प्राप्त न कर सको क्योंकि तुमने क्रोंच पक्षियों के काममोहित जोड़े में से एक का वध कर दिया ।)
पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.10.2017
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